घर जिसमें कीमती सामान रखा हो पर उस घर की दहलीज पर कोई दरवाजा न हो। पर फिर भी उस घर मे चोरी की कोई वारदात न हुई हो। ऐसा घर आपको कहाँ मिलेगा। तो उसका जवाब है महाराष्ट्र का एक छोटा सा गांव Shani Shingnapur यह किस्सा वह स्थित हर घर की है। Shani Shingnapur शनि देव जी का जन्म स्थान है। शनि देव जिन्हें सूर्य पुत्र से नवाजा जाता है। शनि देव अपने पिता को अपना परम् दुश्मन मानते है। शनि देव ने अपने क्रोध की दृष्टि से सूर्य देव को भी काला कर दिया था। सूर्य देव को इससे निजात पाने के लिए भगवान शिव की सहायता तक लेनी पड़ी। इससे पहचान होती है शनि देव के क्रोधित रूप की। इसी कारण व्यक्ति अपनी कुंडली मे शनि की स्थिति जानने के लिए इच्छा प्रकट करता है। शनि की स्थिति आपके कुंडली मे आपका आज और भविष्य निर्धारित करती है।
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क्रोध में ग्रस्त व्यक्ति को यह ज्ञात नहीं हो पाता वह क्या कर रहा है। शनि देव जिन्होंने अपने क्रोध की दृष्टि से अपने पिता सूर्य देव तक को नहीं छोड़ा। उन्हें काला कर दिया उनसे बचने के लिए सूर्य देव को महादेव शिव की मदद लेनी पड़ी।
Shani Shingnapur Temple से सबंधित कथा
Shani Shingnapur Temple प्राचीन काल से काफी प्रसिद्ध मंदिर रहा है। इसकी कथा की शुरआत शनिशिंगणापुर में भारी बाढ़ से हुई। इसी बाढ़ में एक बड़ा ही अजीबो-गरीब पत्थर भी बहकर आया। जब बाढ़ का जोर कुछ कम हुआ तो गांव के एक व्यक्ति ने इसे पेड़ में अटका देखा। पत्थर अजीब था इसलिये कीमती जान इसे नीचे उतारने लगा जैसे ही उसने नुकीली चीज से उस पत्थर को खिंचना चाहा तो जहां से पत्थर को छुआ वहां से रक्त की धार छूट गई, यह देखकर वह व्यक्ति घबरा गया और गांव वालों को इस बारे में बताया। इससे गांव वाले हैरान परेशान हो गए। ऐसे में रात हो गई लेकिन पत्थर वहां से नहीं हिला लोग अगले दिन पर बात छोड़ घर वापस चल दिये। बताया जाता है कि रात को गांव के ही एक सज्जन को स्वयं शनि महाराज ने स्वपन में दर्शन दिये और कहा कि वह पत्थर के रुप में स्वयं ही हैं उसकी स्थापना करवाओ। अगले दिन गांववालों को जब स्वपन की बात पता चली तो उसकी स्थापना की योजना बनाने लगे लेकिन पत्थर फिर भी टस से मस न हो। उस रात फिर शनि महाराज ने दर्शन दिये और बताया कि रिश्ते में मामा-भांजा ही उसे उठा सकते हैं। अगले दिन मामा-भांजा ने उन्हें उठाया तो बड़ी आसानी से उसकी स्थापना कर दी गई।
मंदिर के नियम
Shani Shingnapur Temple के नियम बेहद कठिन माने गए हैं जौसे कुछ वर्ष पहले तक स्त्रियों द्वारा भगवान शनि का तैलाभिषेक वर्जित था हालांकि यह परंपरा अब टूट गई है जिसका विरोध और पक्षकार बराबर हैं। Shingnapur के निवासियों का इस परंपरा के टूटने से थोड़ा भयभीत हुए हैं उनका मानना है कि इस परंपरा के टूटने से शनि देव क्रोधित हो सकते हैं। शनि देव की आराधना पुरुषों के लिए भी कठिन श्रेणी में गिना जाता है। हर मौसम में खुले में स्नान करना तथा पितांबर धोती धारण कर ही शनि महाराज की पूजा करने दी जाती है। इसके बगैर कोई भी पुरुष शनि प्रतिमा को छू नहीं सकता हालांकि यहां पर स्नान और वस्त्रादि की अच्छी सुविधाएं मंदिर प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाई जाती हैं।
Shani Shingnapur पहुंचने का मार्ग
भारत एक प्रगतिशील देश है ,इसके हर साल हर छोटे से छोटे गांव तक का मार्ग साफ और मजबूत नीव पर बन रहा है। Shingnapur तो काफी प्रसिद्ध है इसीलिए यहाँ तक पहुंचने का मार्ग हर जगह से काफी विकसित है । शिरड़ी साईं धाम से शनि महाराज के इस धाम की दूरी 70 किलोमीटर है तो महाराष्ट्र के नासिक से भी दूरी 170 किलोमीटर पड़ती है। औरंगाबाद से यह 68 किलोमीटर दूर है। अहमद नगर से महज 35 किलोमीटर इस शिंगणापुर गांव स्थित शनि धाम में आप रेलमार्ग, सड़कमार्ग हर तरीके के यातायात से पहुंच सकते हैं।