क्रोध में ग्रस्त व्यक्ति को यह ज्ञात नहीं हो पाता वह क्या कर रहा है। शनि देव जिन्होंने अपने क्रोध की दृष्टि से अपने पिता सूर्य देव तक को नहीं छोड़ा। उन्हें काला कर दिया उनसे बचने के लिए सूर्य देव को महादेव शिव की मदद लेनी पड़ी। शनि देव के प्रकोप जानने हेतु जातक की कुंडली मे शनि की स्थिति जानने की इच्छा रहती है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। इनसे कभी भी मनुष्य के कार्य नहीं छुपते चाहे वह कार्य अच्छे हो या बुरे। शनि का प्रभाव जातक पर साढ़े सात साल तक रहता है। 2019 यानी इस साल के लिए ज्योतिष शास्त्र द्वारा यह कहा गया है कि वृश्चिक, मकर और धनु राशि पर शनि का प्रभाव रहेगा। लोग शनि की साढ़े साती से भयभीत हो जाते हैं परन्तु उन्हें यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि शनि देव हर व्यक्ति से न्याय करते हैं। वह बुरे के साथ बुरा तो अच्छे व्यक्ति के साथ केवल अच्छा करते हैं। अर्थात जीवन मे घटित हर घटना का कारण शनि नहीं होते हैं परन्तु जातक को अपने कर्मों का ज्ञात भी होना चाहिए।
शनि शिंगणापुर मंदिर – जानें शनि धाम की कहानी
घर जिसमें कीमती सामान रखा हो पर उस घर की दहलीज पर कोई दरवाजा न हो। पर फिर भी उस घर मे चोरी की कोई वारदात न हुई हो। ऐसा घर आपको कहाँ मिलेगा। तो उसका जवाब है महाराष्ट्र का एक छोटा सा गांव शनि शिंगणापुर।
एक राशि में शनि की साढ़े साती की अवधि
शनिदेव जिस भी राशि में कदम रखते हैं तो उस राशि मे ढाई साल तक घूमते हैं। पहले और बाद की राशि मे इनका प्रभाव पड़ने के कारण इनके प्रकोप को साढ़े साती कह कर पुकारा गया । जैसे कि शनि धनु राशि में है तो उसके पहले की राशि वृश्चिक के लिए शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण, धनु के लिए साढ़े साती का दूसरा चरण और मकर राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण कहा जाएगा।
शनि देव के अच्छे फल देने की प्रक्रिया
आप शनि के प्रभाव साढ़े साती में कहे जाएंगे, अगर आपकी जन्मकुंडली में जन्म के चंद्र से बारहवें, पहले और दूसरी राशि से शनि का भ्रमण होता हो तो । तीन चरणों मे ढाई-ढाई साल के होने के कारण जातकों को हर चरण से गुजरना होता है। जिसमे दूसरा चरण सबसे कठिन माना गया है। साढ़े साती का भय हर उम्र के व्यक्ति में रहता है परन्तु यह भय केवल उस मनुष्य के भीतर होना चाहिए जो कपटी, दुराचारी हो, शनि देव कभी भी अच्छे व्यक्ति जो सबकी मदद करता हो अपनी मेहनत से जिंदगी जी रहा हो उसके साथ बुरा नहीं करते।
शनि देव को ऐसे करे प्रसन्न ।
आपने अभी अपनी या अपने परिवार के किसी सदस्य की जन्मकुंडली दिखाई ताकि आप जन्मकुंडली में शनि की स्थिति का जायजा ले पाएं ताकि आप शनि के प्रकोप से बचने हेतु उपाय भी जान पाएं। यदि जातक की जन्मकुंडली में शनि वक्री हो, नीच राशि (मेष राशि) का हो, अस्त का हो, पाप ग्रह केतु, मंगल, राहु या केतु के साथ युति, प्रतियुति या फिर दृष्टि संबंध बना रहा हो अथवा गोचर में शनि की बड़ी पनौती या छोटी पनौती हो तो ऐसे जातकों के लिए कोई अत्यधिक उपाय नहीं बल्कि उनकी श्रद्धा पूर्वक सेवा करना।
शनि जयंती 2020- कैसे मनाए शनि देव को
ॐ शं शनैश्चराय नमः॥ यह मंत्र का उच्चारण हर शनिवार को शनि देव के मंदिर में तेल चढ़ाते हुए लिया जाता है। शनि देव जो कि सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ में जन्मे पुत्र हैं।
अपनाए यह उपाय ।
जीवन मे मौजूद हर गठित समस्या का कोई उपाय अवश्य ही मौजूद होता है। बस जरूरत होती है उसे नियमित और ढंग से पुर्ण करना। निम्मनलिखित मंत्र का नियमित एवं ठीक तरह से उच्चारण करना चहिद। ॐ शं शनैश्चराय नमः यह शनि देव की आराधना का मूल मंत्र है। शनि चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें, शनिदेव के वार शनिवार को अवश्य ध्यान पूर्वक करें। प्रत्येक शनिवार को उड़द की दाल भोजन में लीजिए और एक समय उपवास करें। हर शनिवार को शनिदेव के मंदिर में जाकर तेल चढ़ाएं। शनि यंत्र की पूजा करने से भी शनि देव को प्रसन्न किया जाता है।
पाठ का वक्त ध्यान का ।
शनि देव के पाठ करने के समय आपका पूर्ण ध्यान शनि देव की आस्था में होना चाहिए। पाठ के दौरान उतर दिशा में बैठना सबसे शुभ माना जाता है। तांबे के दीपक में तिल या सरसों का तेल भरकर ज्योति जलाएं। हनुमान जयंती अथवा शनि अमावस्या के दिन हवन कराकर शनिदेव की उपासना की जा सकती है।
यहाँ दिए गए सभी उपाय करने से जातको को बेहद लाभ होगा । उनपर शनि देव की कृपा बनेगी। इससे जीवन के कष्टों व विघ्नों का शमन होता है। शनि की साढ़े साती के दौरान यदि इन उपायों को पूरी आस्था व विश्वास के साथ किया जाए तो शनिदेव अवश्य ही प्रसन्न होकर वक्त की मार झेल रहे व्यक्ति को मुसीबतों से बाहर लाते हैं। शनिदेव दयालु हैं और अपने भक्तों की सभी दुःखों से रक्षा करते हैं।