हम सभी को जीवन निर्वाह करने के लिए हमें धनोपार्जन करना पड़ता है| जिसके लिए हमें कुछ काम जैसे कोई नौकरी, या फिर स्वयं का व्यवसाय करते है| परन्तु कभी कभी हम कुछ सामान्य बातों का ध्यान नहीं रखते है जिसकी वजह से हम अत्यधिक मेहनत करने के बावजूद भी उतना लाभ नहीं होता जितना की उससे होना चाहिए था| तो उसमे कमी कहा रह गयी? इस प्रश्न का उत्तर है वास्तु टिप्स? जी हाँ कभी-कभी हम जाने अनजाने में कुछ गलतियाँ ऐसी कर देते है जो की वास्तु शास्त्र के अनुसार गलत होती है| तो हमें मेहनत के साथ-साथ वास्तु-टिप्स की बात भी ध्यान रखनी चाहिए जिससे की हमारा व्यवसाय मेहनत के अनुसार उसकी कीमत भी वसूल हों क्यूंकि आपका व्यवसाय आपकी जीविका का साधन तो है ही साथ-साथ कई और लोगों की जीविका उसी पे ही निर्भर है|
वास्तु शास्त्र के लिए आप जो प्लाट/भूखंड चुन रहे है वो उपजाऊ होना चाहिए| प्लाट अगर काली मिटटी में स्थित हो तो फक्ट्री या औद्योगिक व्यवसाय बहुत ही अच्छा चलता है परन्तु अगर पीली मिटटी में बना हुआ है तो ऑफिस या दूकान के लिए सर्वोत्तम है| प्लाट की लम्बाई, चौड़ाई के दोगुने से ज्यादा नहीं होनी चाहिए| प्लाट के उत्तरपूर्व और मध्य भाग को खुला हुआ वायुदार होना चाहिये| भूखंड त्रिभुजाकार या वक्राकर नहीं होना चाहिए| व्यावसायिक प्लाट का ढाल उत्तर या पूर्व में रखना सर्वोत्तम होता है और इसी दिशा में जल स्रोत, फव्वारा, हैंडपंप लगवाना भी सर्वोत्तम होता है|
आपके ऑफिस, दूकान या जो भी व्यावसायिक भूखंड उसके मुख्य द्वार पर कचरे का ढेर या गंदे पानी का नाला इत्यादि नहीं रखना चाहिए ऐसा करने पर उद्योगपति ऋणी हो जाता है| ऑफिस में खजांची, रिसेप्शनिस्ट, सेल्समेन, अकाउंटेंट के बैठने का तरीका उत्तर या पूर्व दिशा में मुह होना चाहिए| मीटिंग रूम, रिसेप्शन बिल्डिंग की जोड़ पर नहीं होना चाहिए| फैक्ट्री के मालिक/मेनेजर का कमरा पश्चिम दिशा में होना चाहिए इससे उसका बिल्डिंग पे स्वामित्व बना रहता है| भारी मशीनें जो ज्यादा वजन या फिर ज्यादा क्षेत्रफ़ल लेती है उन्हें मध्य दक्षिण या पश्चिम में स्थापित करना सर्वोत्तम रहता है|