गुरु यानी अध्यापक एक ऐसा व्यक्ति जो हम पर अपने ज्ञान की बरसात करता है। जीवन मे हर व्यक्ति के सफलता के पीछे उसके शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है । कहीं जगह आपके माता पिता ही गुरु का रिक्त स्थान भरते हैं। हिन्दू शास्त्रों में गुरु को अहम तरजीह दी गई है।
गुरु की अहमियत संसार मे
“गुरु गोविन्द दोनों खड़े काके लागू पाये,बलिहारी गुरु आपनी, जिन्हे गोविन्द दियो मिलाय।” यह बहुचर्चित दोहा कबीर दास के कलम से लिखा गया जिसमे वह गुरु की अहमियत बताते हैं वह एक सवाल का जवाब दो लाइनों में देते हैं। “गुरु और गोबिंद(भगवान) एक साथ खड़े हो तो किसके चरण पहले स्पर्श करने चाहिए । तो इसमें कबीर जी उतर देते हैं कि मनुष्य को सबसे पहले गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए क्योंकि गुरु के ही आशीर्वाद से हमे हरि तक पहुंचने में मदद होती है। गुरु ही वह शख्स है जो खुद मेहनत करके अपना ज्ञान को बढ़ाता है ताकि हमको अपने ज्ञान में रोशन कर सके। अगर सरल भाषा मे गुरु के अहमियत बताई जाए तो यह है कि गुरु आपको भगवान के श्राप से भी मुक्ति दिला सकता है परन्तु अगर आप गुरु के नजर में हट गए तो भगवान भी असहाय से प्रतीत होते हैं। समाज में कोई भी स्वयं को महाज्ञानी ने कहता सभी को जीवन काल मे किसी गुरु की आवश्यकता होती ही है।
Guru Purnima क्यों मनाया जाता है?
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। Guru Purnima को गुरु की पूजा की जाती है। प्राचीन काल मे जब विद्यार्थी गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने जाते थे तो इसी दिवस अपने गुरु की पूजा करके यह पर्व मनाते थे आप इस दिवस को उस समय का अध्यापक दिवस भी कह सकते हैं । इस दिवस सिर्फ गुरु की नहीं बल्कि गुरु के स्थान पर हर उस शख्स की पूजा की जाती है जिसने हमें जीवन के किसी पढाव पर साथ दिया हो अपना ज्ञान बांटा हो । हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वेदव्यास जी ने 18 पुराणों एवं 18 उपपुराणों की रचना की थी। महाभारत एवं श्रीमद् भागवत् शास्त्र इनके प्रमुख रचित शास्त्र हैं। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
Guru Purnima की पूजा विधि
यह एक बहुत महत्वपूर्ण पूजा है तो आपका ध्यान इसमें पूरा होना चाहिए। सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर लें और नए कपड़े धारण कर ले। इसके बाद अपने घर के पूजा घर मे जाएं अपने धर्म गुरु की मूरत या तस्वीर को रखें और उसके समक्ष बैठ कर ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का पाठ करें. अगर आपके गुरु से मिलन सम्भव हो तो उन्हें अपने घर पर आमंत्रित करें और उनकी साक्षात वंदना करे इसके बाद उन्हें शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसें और दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
2020 की Guru Purnima कब है।
गुरु की पूजा के लिए कोई खास दिवस की आवश्यक नहीं, गुरु के लिए 365 दिन हमे पथ पर रहना चाहिए वही हमारे तरफ से गुरु के लिए सच्ची श्रद्धा होगी। Guru Purnima इस वर्ष 16 जुलाई को मनाई जाएगी। इंसान गलती का पुतला होता है कभी कभी जाने अनजाने में गलती होती ही है तो उसका पश्चताप हमें अपने गुरु अपने इष्टदेव से कर देनी चाहिए ताकि वह हमें इससे रास्ता दिखा सकें। Guru Purnima तिथि प्रारंभ – 01:48 बजे (16 जुलाई 2019) Guru Purnima तिथि समाप्त – 03:07 बजे (17 जुलाई 2019)