श्रिष्टि के रचनाकार भगवान विष्णु जिन्होंने इस धरती पर दशावतार लिए और अपना लीला रच कर इस पावन धरती को उन दुष्ट पापों से बचाया। भगवान विष्णु के अवतार में अयोध्या के श्रीराम और नटखट श्रीकृष्ण जी की मौजूदगी है। शांति प्रिय गौतम बुद्ध का भी इनके अवतार में शामिल है। भगवान परशुराम जी को भला कौन भूल सकता है। जिनका गुस्सा इतना मशहूर था कि गणेश जी को एक दन्त कहलवाने में अहम भूमिका निभा आए। भगवान विष्णु अपने भक्तों की हर मांग को स्वीकार करते है इसीलिए तो वह अपने भक्तों के हमेशा प्रिय रहे हैं। भक्त भी उनसे दुआ मांगने का कोई मौका नही छोड़ते। वह भगवान को खुश करने के लिए कठोर तप एवं व्रत रखते हैं ताकि वह अपने परिवार का स्वास्थ्य एवं धन लक्ष्मी की कृपा की मांग कद सके। भादों यानि भाद्रपद मास के व्रत व त्यौहारों में एक व्रत इस माह की शुक्ल Chaturdashi को मनाया जाता है। जिसे Anant Chaturdashi कहा जाता है। इस दिन Anant यानि भगवान श्री हरि यानि भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही सूत या रेशम के धागे को चौदह गांठे लगाकर लाल कुमकुम से रंग कर पूरे विधि विधान से पूजा कर अपनी कलाई पर बांधा जाता है। इस धागे को Anant कहा जाता है जिसे भगवान विष्णु का स्वरूप भी माना जाता है। मान्यता है कि यह Anant रक्षासूत्र का काम करता है। भगवान श्री हरि Anant Chaturdashi का उपवास करने वाले उपासक के दुखों को दूर करते हैं और उसके घर में धन धान्य से संपन्नता लाकर उसकी विपन्नता को समाप्त कर देते हैं।
कथा अनंत चतुर्दशी तिथि की
दीक्षा नाम की एक सुंदर स्त्री जो कि सुमंत नामक ऋषि की अर्धांगिनी थी उन्होंने एक सुंदर सी पुत्री को जन्म दिया। जिसका नाम सबकी सहमति से सुशीला रखा गया। लेकिन वक्त का अजीब खेल तो देखिए कुछ ही वक्त पश्चात सुशीला से माँ का साया छीन गया दीक्षा स्वर्ग लोक सिधार गई। अब ऋषि सुमंत अपने आप को असहाय महसूस करने लगे। बच्ची के लालन पालन में वह अकेले असमर्थ मालूम हो रहे थे इसीलिए उन्होंने दूसरी शादी रचाने का फैसला किया। दूसरी शादी ऋषि सुमंत ने कर्कशा से किया जो अपने नाम सम्मान व्यवहार में कर्कश थी। भगवान के आशीर्वाद से बेटी सुशीला का बालक जीवन बीत गया और वह उम्र के जवानी पल में प्रवेश कर गई जहाँ उसके पिताजी ऋषि सुमंत को उसके विवाह की चिंता सताने लगी। सुशीला से विवाह के लिए एक ऋषि कौण्डिन्य से तय किया। हर पिता अपनी पुत्री का विवाह यह सोच कर करता है अब उसे जीवन मे कभी ज्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। परन्तु सुशीला को शादी के पश्चात भी इस दृढ़ता का सामना करना पड़ा। उन्हें जंगलों में भटकना पड़ रहा था। एक दिन उन्होंने देखा कि कुछ लोग अनंत भगवान की पूजा कर रहे हैं और हाथ में Anant रक्षासूत्र भी बांध रहे हैं। सुशीला ने उनसे Anant भगवान की उपासना के व्रत के महत्व को जानकर पूजा का विधि विधान पूछा और उसका पालन करते हुए Anant रक्षासूत्र अपनी कलाई पर भी बांध लिया। देखते ही देखते उनके दिन फिरने लगे। कौण्डिन्य ऋषि में अंहकार आ गया कि यह सब उन्होंने अपनी मेहनत से निर्मित किया है काफी हद तक सही भी था प्रयास तो बहुत किया था। अगले ही वर्ष ठीक Anant Chaturdashi की बात है सुशीला Anant भगवान का शुक्रिया कर उनकी पूजा आराधना कर अनंत रक्षासूत्र को बांध कर घर लौटी तो कौण्डिन्य को उसके हाथ में बंधा वह अनंत धागा दिखाई दिया और उसके बारे में पूछा। सुशीला ने खुशी-खुशी बताया कि Anant भगवान की आराधना कर यह रक्षासूत्र बंधवाया है इसके पश्चात ही हमारे दिन बहुरे हैं। इस पर कौण्डिन्य खुद को अपमानित महसूस करने लगे कि उनकी मेहनत का श्रेय सुशीला अपनी पूजा को दे रही है। उन्होंने उस धागे को उतरवा दिया। इससे अनंत भगवान रूष्ट हो गये और देखते ही देखते कौण्डिन्य अर्श से फर्श पर आ गिरे। तब एक विद्वान ऋषि ने उन्हें उनके किये का अहसास करवाया और कौण्डिन्य को अपने कृत्य का पश्चाताप करने की कही। लगातार चौदह वर्षों तक उन्होंने Anant Chaturdashi का उपवास रखा उसके पश्चात भगवान श्री हरि प्रसन्न हुए और कौण्डिन्य व सुशीला फिर से सुखपूर्वक रहने लगे।
Anant Chaturdashi व्रत का महत्व
Anant Chaturdashi vrat का महत्व हिन्दू धर्म मे काफी इज्जत और सम्मान के साथ लिया जाता है। इसके करने से व्रत रखने वालों के हद कष्ट का निवारण हो जाता है। भगवान गणेश का घर से विदाई का समय भी इसी दिन किया जाता है एवं जैन धर्म मे भी दशलक्षण पर्व का समापन भी शोभायात्राएं निकालकर भगवान का जलाभिषेक कर इसी दिन किया जाता है।
कब है 2019 में Anant Chaturdashi date
इस वर्ष यह तिथि 12 सितंबर को है इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को Anant Chaturdashi कहा जाता है। इस दिन अनंत भगवान (भगवान विष्णु) की पूजा के पश्चात बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये कपास या रेशम से बने होते हैं और इनमें चौदह गाँठें होती हैं। Anant Chaturdashi के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। भारत के कई राज्यों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान कई जगहों पर धार्मिक झांकियॉं निकाली जाती है।