पंचमुखी रुद्राक्ष

5 Mukhi Rudraksha जिसमें शिव करते हैं पांचों रूपों में वास

रुद्राक्ष (Rudraksh) एक तरह के खास पेड़ के बीज हैं जो पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं, खासकर हिमालय और पश्चिमी घाट पर। पहले तो रुद्राक्ष भारत में आसानी से मिल जाता था परन्तु उसका ज्यादातर इस्तेमाल रेलवे में पटरी बनाने के कारण अब रुद्राक्ष नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया से लाए जाते हैं। रुद्राक्ष को आध्यात्मिक क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है। रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं जिसके भिन्न नाम होते हैं। इन्ही में 5 Mukhi Rudraksha काफी अहम है । कहा जाता है इसमें शिव जी का पाँच रूपों में वास होता है।

एक मुखी रूद्राक्ष | महत्व | लाभ | धारण करने की विधि

एक मुखी रूद्राक्ष का आकार हूबहू ओंकार जैसा होता है, जिसमे माना जाता है की साक्षात महादेव शिव जी का वास होता है। इसे धारण करने से शिव जी से आशीर्वाद रूपी शक्ति प्राप्त होती है।

5 Mukhi Rudraksha क्या है?

5 Mukhi Rudraksha के शासक स्वयं भगवान शिव हैं। कहा जाता है जिज़ व्यक्ति के भीतर वासना,क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का स्थान होता है उसके रुद्राक्ष पहने से इन अवगुणों का स्थान उसके भीतर नहीं रहता। रुद्राक्ष हमेशा अपने दिल के पास पहनें इससे आपको कभी भी हृदय से जुड़ी बीमारियों से सामना नहीं करना पड़ेगा, तथा ब्लड प्रेशर, चिंता की भी शिकायत न होगी।

5 Mukhi Rudraksha की महिमा

रुद्राक्ष की महीमा में शास्त्र पूर्ण रूप से भरे पड़े हैं। अधिकतर लोग एकमुखी रुद्राक्ष के खोज में रहते हैं परन्तु एकमुखी रुद्राक्ष सबसे दुर्लभ रुद्राक्षों में से एक है। भारत मे सबसे आसानी से पंचमुखी रुद्राक्ष पाया जाता है। कहा जाता है कि शिवजी panchmukhi rudraksha में पाँच रूपो में समाते हैं यह पाँच रूप है:- सघोजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर और वामदेव। एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ के साथ साथ काफी महंगे में भी गिना जाता है तो वहीं पंचमुखी रुद्राक्ष भारत में आसानी से प्राप्त हो सकता है वह भी केवल 100-200 ₹ में।

5 Mukhi Rudraksha के लाभ

5 Mukhi Rudraksha में शिव जी के पाँच रूप शामिल होते हैं। इसके पहनने से आपके भीतर उतपन्न होती वासना,क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का स्थान मिट जाता है । पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं शिव जी का रूप ही माना गया है। 5 Mukhi Rudraksha धारण करने से मनुष्य के वे पाप भी कट जाते हैं जो उसके लिए सैद्धांतिक रूप से वर्जित बताए गए है। अग्मयगमन यानी जहां नहीं जाना चाहिए तथा अभक्ष्यभक्षण यानी जिसे कभी ग्रहण नहीं करना चाहिए, इन पापों को काटता है 5 Mukhi Rudraksha। भूलवश परस्त्रीगमन हो जाए, दूषित भोजन ग्रहण करने का अनजाने में पाप हो जाए तो शिवजी से इसके लिए क्षमायाचना करनी चाहिए। ऐसे लोगों को 5 Mukhi Rudraksha धारण करना चाहिए। पंचमुखी रुद्राक्ष के धारण से शारीरिक, मानसिक तथा संपदा शक्ति बढ़ती है। व्यक्ति तन-मन-धन से समृद्ध होता है।

Panchmukhi Rudraksha धारण करने के विधि और मंत्र

रुद्राक्ष को सबसे प्रमुख धारण करने से पूर्व सिद्ध करना चाहिए। स्नान के बाद चाहिए स्वच्छ वस्त्र धारण करके शिवमंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग या प्रतिमा के सामने बैठें। विधिपूर्वक विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करादिन्यास, हृदयादिन्यास तथा ध्यान करके शिवजी की पूजा करें। शिवजी का जलाभिषेक करें यानी जल चढ़ावें। उसके बाद रुद्राक्ष सिद्ध करने के लिए निर्धारित मन्त्र का जप करना चाहिए 5 Mukhi Rudraksha को सिद्ध करने के भिन्न-भिन्न मंत्र पुराणों में कहे गए हैं। आप श्रद्धानुसार किसी भी मंत्र से इसे सिद्ध कर सकते हैं। ॐ हूं नमः अथवा ॐ ह्रीं नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। इसे धारण करने के लिए सबसे उत्तम दिन सोमवार है।

5 Mukhi Rudraksha धारण के फायदे

5 Mukhi Rudraksha में भगवान शिव की सभी शक्तियां समाहित होती है। इस धरा के पंच तत्व और पांच पांडव इस रुद्राक्ष के देव माने गए हैं। इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह गुरु होता है। मान्यता अनुसार इस रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने धारण अवश्य करने चाहिए।

5 Mukhi Rudraksha के फायदे

* इस रुद्राक्ष को धारण करने से मान सम्मान और धन की प्राप्ति होती है।

* यह रुद्राक्ष धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ होता है।

* यह सभी सिद्धियों की प्राप्ति और पापों से मुक्ति दिलाता है।

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