मूंगा रत्न

Moonga Ratna | मूंगा रत्न धारण करने की विधि और महत्व

व्यक्ति अपने जीवन यात्रा में कुछ कार्य करने के लिए बाधित होता है, चाहे वह उस व्यक्ति के पसंद का हो या ना पसंद का हो। सभी भिन्न व्यक्तियों के कार्य भिन्न हो सकते हैं परन्तु सब यही चाहते हैं कि वह जो भी कार्य करें उसमें वह सफलता हासिल करें, उसका हर कार्य मंगलमय रहें।

परन्तु जीवन का यह अनमोल सत्य है कि कोई भी व्यक्ति जीवन में हर बार नही जीत सकता। परन्तु वह हार भी नहीं सकता क्योंकि जीवन ही एकमात्र ऐसा खेल है जहाँ व्यक्ति हारता नहीं बल्कि सीखता है। व्यक्ति अपने जीवन में केवल सफलता के लिए मेहनत कर सकता है, और यह कामना कर सकता है कि सब कार्य मंगलमय हो।

मूंगा रत्न – मंगल की पीड़ा को हर लेता है मूंगा

आपका कार्य मंगलमय हो’ इसमें मंगल का शब्द शुभ के लिए प्रयोग हुआ है। अर्थात किसी भी परिस्थिति में मंगल शब्द का इस्तेमाल शुभ के लिए ही होता है परन्तु अगर यह शब्द मंगल, मंगलग्रह के संदर्भ में जुड़ जाता है तो इसे नकारत्मक दृष्टि से भी देखा जाने लगता है।

मंगल का अर्थ यूँ तो शुभ माना जाता है परन्तु ज्योतिषि भाषा में यह कहा गया है कि अगर मंगल शब्द मंगल ग्रह से सबंध रखता हो तो वह अशुभ की भांति गिना जाता है। यानि किसी जातक की कुंडली के अनुसार यदि वह मंगल दोष से पीड़ित हो यानि मांगलिक हो तो उसे जीवन में विवाह, दांपत्य जीवन के साथ-साथ और भी बहुत सारी कठिनाइयों को झेलना पड़ता है।

परन्तु यह ध्यान देने वाली बात है कि जहाँ कठिनाइयां होती है वही उसके निपटारे के लिए हल भी मौजूद है। इसी कड़ी में कठिनाई से पार पाने का सबसे प्रबल जरिया मंगल रत्न मूंगा (Moonga Ratn) धारण करने को कहा गया है, हालांकि अच्छी तरह से देखभाल किये बिना यदि जातक इस रत्न को धारण करता है तो उस पर विपरीत प्रभाव पड़ने के आसार भी बन जाते हैं। तो आइये जानते हैं मंगल की पीड़ा को शांत करने के लिये किन जातकों को मूंगा धारण करना चाहिये तो किन्हें इस रत्न को धारण करने से बचकर रहना चाहिये।

मूंगा रत्न / Moonga Ratna क्या है?

जिन व्यक्तियों को इस मूंगा रत्न को धारण करने के किए कहा जाता है, वय इस प्रशन के समीप स्वयं को जरूर पाता है कि आखिर मूंगा रत्न है क्या? इसका जवाब बेहद सरल है। मूंगा रत्न को अंग्रेजी भाषा मे कोरल कह कर पुकारते हैं जो एक तरह का वनस्पति है जो समुद्र में पाई जाती है। प्राचीन काल में जिसे लतामणि कहा जाता था वह मूंगा ही है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है। मान्यता है कि मंगल दोष दूर करने व मंगल की शुभता के लिये इसे धारण किया जा सकता है। लेकिन हर किसी को इसे धारण नहीं करना चाहिये।

Moonga Ratna धारण कौन करें ?

यह मौजूदा दौर फ़ैशन और दिखावट से लबरेज है। इस रत्न की सुंदरता के कारण व्यक्ति दूसरों को शान से रत्न की खासियत बताता है परन्तु वही खासियत जो वह खुद से बनाता है। सुंदरता के कारण हर व्यक्ति इसे पहनने की इच्छा जाहिर करता है और इस रत्न को पहन भी लेता है बिना यह जाने की यह रत्न व्यक्ति के कुंडली मुताबिक जरूरी है या नहीं। मूंगा रत्न को उन रत्नों में भी गिना जाता है जिसका परिणाम विपरीत भी आ सकते हैं। यदि जातक की कुंडली में मंगल अष्टम में नीच राशि का या शत्रु राशि का हो, या फिर मंगल शनि से इष्ट हो, शनि के साथ हो तो मूंगा धारण करना सही नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में कई बार मूंगा दुर्घटना का कारण बन जाता है और अनिष्ट की आशंका हमेशा बनी रहती है। सामान्यत: मेष व वृश्चिक जो कि अग्नि और जल तत्व प्रधान राशियां है और जिनके स्वामी स्वयं मंगल होते हैं वाले जातकों को मूंगा धारण करने की सलाह दी जाती है लेकिन हमारी सलाह है कि अपनी कुंडली को विद्वान ज्योतिषाचार्यों को दिखाकर ही कोई रत्न आपको धारण करना चाहिये।

मूंगा रत्न धारण करने की विधि

5 से 8 कैरेट के मुंगे को स्वर्ण या ताम्बे की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करे।

  • सबसे पहले मुंगे की अंगुठी को दूध, गंगा जल, शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे।
  • पांच अगरबत्ती मंगलदेव के निमित्त जलाएं।
  • प्रार्थना करें कि हे मंगल देव मैं आपका कृपा प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न मूंगा धारण कर रहा हूं। कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
  • 108 बार ॐ अं अंगारकाय नम: का जाप करें।
  • अंगूठी हनुमान जी के चरणों से स्पर्श करें क्योकि वहीं मंगल के अधिष्ठाता देव है।
  • तर्जनी या अनामिका उंगली में धारण करे। इसके विषय में ज्योतिष से पूछे।
  • मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मूंगा ही धारण करे।
  • मूंगा धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है। इसके बाद नया मूंगा धारण करना चाहिए। मुंगे का रंग लाल और दाग रहित होना चाहिए। मुंगे में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है।

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