वैज्ञानिकों द्वारा इस समाज में कई महत्वपूर्ण वस्तु की खोज की गई, जिसका पूरे विश्व मे अहम योगदान रहा। परन्तु कोई व्यक्ति अगर सात साल तक सच की खोज करने घर छोड़ कर निकल पड़े तो उसे आप एक आम वैज्ञानिक नहीं बल्कि भगवान की उपाधि से नवाजा जाएगा। भगवान बौद्ध जिनका जन्म पिता सुद्धोदन एवं मां माया देवी के यहां वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ जिसके कारण इस दिवस को हिन्दू धर्म में बुद्ध जयंती के त्योहार कर मनाते हैं। भगवान बुद्ध ( राजकुमार सिद्धार्थ) अपनी इच्छा अनुसार 27 वर्ष की आयु में अपना परिवार और राज गद्दी छोड़ कर सच की तलाश पर निकल पड़े थे। इसी सच की तलाश करते हुए वह बौद्धगया में बोधि वृक्ष के छाव तले सिद्धि प्राप्त की ओर अपना धर्मपरिवर्तन किया और राजकुमार सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध से प्रचलित हुए। इन्हें बोद्ध धर्म का संस्थापक भी माना गया है।
भगवान बुद्ध के अनमोल वचन
भगवान बौद्ध ने यह कहा है कि हम वर्तमान में जहाँ भी कार्यरत हैं वह हेनरी सोच पर ही आधारित है, अगर वह बुरा सोचेगा तो उसका परिणाम बुरा ही मिलेगा पर अगर वह व्यक्ति अपने भीतर शुद्व सोचे तो हर तरह से तरक्की की राह पर आग्रसर होगा, खुशियां उसका साथ कभी नहीं छोड़ेगी। भगवान बौद्ध के अनुसार आप किसी को चाहे 1000 खोखले शब्द बोल दें परन्तु वह 1 शब्द जो आप दोनों के बीच शांति का संचार करें वह शब्द ही बेहतर है।
गौतम बुद्ध का वैशाख पूर्णिमा से रिश्ता
महात्मा बुद्ध का वैशाख पूर्णिमा से अद्धभुत नाता है, उनके जीवनकाल के कई पल इन्ही पूर्णिमा में घटित हुए। जैसे कि इनका जन्म के वक्त वैशाख पूर्णिमा था और जब इन्हें बौद्धगया में बोधि वृक्ष के नीचे बैठ तप किया तब भी वैशाख पूर्णिमा का वक्त था और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। यानि गौतम बुद्ध जी का जन्म उनकी सत्य की सीख एवं महापरिनिर्वाण सब एक ही दिवस वैशाख पूर्णिमा के वक्त हुआ।
यही हैं विष्णु जी के 9 वे अवतार
इन्हें भगवान विष्णु जी का 9 वां अवतार कहा गया है हालांकि इसमें कई मतभेद भी शामिल हैं। दक्षिण भारत में भगवान विष्णु जी का 8वां अवतार बलराम जी एवं 9वां अवतार श्रीकृष्ण जी को माना जाता है। बल्कि श्रीकृष्ण जी 8 वें अवतार की मान्यता प्राप्त है। यहाँ तक बोद्ध धर्म के अनुयायी भी भगवान बुद्ध के विष्णु के अवतार होने को नहीं मानते।
कब है 2019 में बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा इस वर्ष 18 मई को बड़ी श्रद्धा से बनाई गई जो सुबह 4:10 बजे से शुरुआत होकर 19 मई के 2:41 बजे तक रही। यह भगवान बुद्ध की 2581 वीं वर्षगांठ थी। इस दिन हर वर्ष मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है और वह भगवान को जलाभिषेक करते हैं, फल फूल इत्यादि चढ़ाते हैं। कई भक्त इस दिन पिंजरे में कैद पक्षी को आजाद कर स्वत्रंणत्ता का संदेश विश्व भर में चलाते हैं , इस दिन बोद्ध श्रद्धालु जरूरतमंद लोगों की सहायता करने को भी अच्छा मानते हैं।
कहाँ कहाँ मनाया जाता है
बुद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती विष्व भर में प्रसिद्ध है यह जयंती केवल भारत मे ही नहीं बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाईलैंड, जापान, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मलेशिया इत्यादि में पूरे श्रद्धा अनुसार मनाया जाता है। कुशीनगर में इस अवसर पर एक मास का मेला लगता है।