योग ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। नेपाल और भारत में यह क्रिया काफी सालों से इस्तेमाल में लिया जाता है। इस समय योग सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपने कदम जमा चुका है। 21 जून को हर साल अब अंतराष्ट्रीय योग दिवस के तहत मनाया जाता है। योग में कई आसनों का जमावड़ा लगा होता है जो व्यक्ति को होने वाली ज्यादातर बीमारी के सामना करने के लिए उपयुक्त है। इन्हीं में से एक आसन का नाम है योगमुद्रासन। Yoga Mudrasana पेट से सम्बंधित बीमारी से जूझने में पर्याप्त है। इस लिए यह योगमुद्रासन को आप अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें। योग में यह मुद्रा अति महत्त्वपूर्ण है, इसलिए यह योगासन योगमुद्रासन कहलाता है।
योगासन क्या है? योगासन और प्राणायाम के फायदे
योगासन दो भिन्न शब्दों का जोड़ है। यह दो शब्द है योगा और आसन। इसमें आसन का अर्थ है की जब व्यक्ति स्वयं को एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक रख सके तो वही आसन है।
Yoga Mudrasana की विधि
- कोई भी योगासन की क्रिया करने से पूर्व एक साफ जगह जहाँ पर्याप्त मात्रा हवा का आदान प्रदान होता हो वहाँ चटाई बिछालें।
- अब आप पद्मासन की क्रिया में बैठ जाए और अपने दोनों पीठ के पीछे ले जा कर पकड़ लें ।
- अब श्वास छोड़ते हुए शरीर को आगे की तरफ झुका कर भूमि पर टेक दें और श्वास को रोक कर लें।
- ध्यान रहे की जब आप आगे की तरफ झुक रहे तब तक कमर और नितंब ऊपर की तरफ ना उठायें।
- अब धीरे धीरे सांस अंदर की तरफ खींचते हुए सिर को उठायें और पुन अपनी पहली अवस्था में आ जाएँ।
Yoga Mudrasana के लाभ
योगमुद्रासन पेट से सम्बंधित रोगों से मुक्त करने के लिए एक प्रबल माध्यम है। इस आसन में व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में लचीलापन का विकास होता है। Yoga Mudrasana का नियमित अभ्यास करने से जिन लोगों के पेट में अधिक चर्बी होती है। इस आसन को नियमित करने से पेट की चर्बी कम हो जाती है, साथ ही मोटापे से भी छुटकारा मिल जाता है। जिन लोगों की बार-बार नाभि हिल जाती है, अथवा अपने स्थान से हट जाती है। उन्हें यह आसन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से नाभि के साथ-साथ पेट के अन्य अंगों को बल मिलता है। वे अपने स्थान पर स्थिर रहकर सुचारु रूप से कार्य करते रहते है।
पादहस्तासन (Uttanasana) की योगविधि और लाभ
अगर आपने योगा में सूर्यनमस्कार किया हो, तो उसीकी तीसरी क्रिया को ही पादहस्तासन कहा जाता है जहाँ खड़े होकर आगे की ओर झुका जाता है और अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों को छुआ जाता है।
सावधानी Yoga Mudrasana करते वक्त
सावधानी हटी और दुर्घटना घटी यह वाक्य तो आपने सुना ही होगा इस वाक्य का प्रयोग इस आसन करते हुए भी आपको करना होगा। यह पाया जाता है कि व्यक्ति के भीतर हर जगह सबसे पहले पहुंचने की तलब होती है और वह दूसरों से अपने आप की तुलना करते हैं जिन्हें यह क्रिया करते हुए उनसे काफी वक्त हो गया। अतः वह अपनी क्षमता से अधिक प्रयास करने लग जाते हैं। योगमुद्रासन अपनी क्षमता अनुसार ही करना चाहिए। यदि आप अपनी क्षमता से अधिक करते हैं तो इससे आपको हानि का सामना भी करना पड़ सकता है।
यह आसन उसी व्यक्ति द्वारा प्रयास में लाया जाए जो व्यक्ति हर्निया, उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था तथा साईटिका से पीड़ित न हो। अथवा इसका परिणाम हानि पहुंचा सकता है।
अगर आपको इस आसन को करने में कोई दिक्कत हो या इस आसन या इसके अलावा ढेरों अन्य आसन का पूर्ण ज्ञान लेना हो तो किसी योगा प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
रोग जो होंगे निरोग
Yoga Mudrasana का नियमित प्रयास व्यक्ति के जीवन मे उपस्थित कई बीमारियों से निजात दिलाता है खासकर व्यक्ति के पेट से सम्बंधित बीमारी। व्यक्ति को होने अधिकतर बीमारी व्यक्ति के सेहत पर ध्यान न देने के कारण होती है । व्यक्ति का हर जगह स्वयं को व्यस्त रखना खुद के लिए बीमारी का कुआं खोदने समान है । जिसके अंत मे वह मोटापे का शिकार बन जाता है और उसी मोटापे से मधुमेह और अन्य कई बीमारी व्यक्ति को घेर लेती है। योगमुद्रासन इन्ही बीमारियों पर हमला करता है। योगमुद्रासन का अभ्यास प्रतिदिन करने से पैनक्रियाज़ का व्यायाम होता है। पैनक्रियाज़ ग्रंथि में रक्त संचार बढ़ने से विकार में कमी आने लगती है। इससे विकृत पैनक्रियाज़ भी धीरे-धीरे ठीक होकर काम करने लगता है। यदि सटीक आयुर्वेदिक औषधियों एवं अन्य योगासनों के साथ इसे किया जाए तो मधुमेह (diabetes) जैसी घातक बिमारी से छुटकारा मिल सकता है, तथा इसे करने से पेट कि चर्बी भी कम होती है, यकृत या लीवर ठीक से अपना काम करने लगता है। जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है। कब्ज को खत्म करने में भी यह कारगर है कब्ज कि वजह से ही हमारे शरीर में ढेर सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है। इस आसन को करने से ना सिर्फ कब्ज से ही छुटकारा मिलता है, बल्कि उन सभी बिमारियों से भी दूरी बनी रहती है जो कि कब्ज की वजह से उत्पन्न होती है।