भगवान की मौजूदगी हर जीव जंतुओं में सम्मिलित हैं केवल व्यक्ति को उसे अपने कर्म की दृष्टि से पहचानना होता है। यह सम्मुच दुनिया त्रिदेव (जिनमें ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु एवं महाकाल शिव) की रचना है। भगवान विष्णु द्वारा लिए गए समय समय पर कुल दशावतार यह साबित करते हैं कि ईश्वर हर मनुष्य के साथ खड़े हैं वह उन पापीयों का नष्ट करने के लिए अवतार लेते रहते हैं।
इन्ही दशावतार में विष्णुजी जी का कछुआ अवतार (Kachua avtar) भी काफी प्रसिद्ध हैं। कछुए को विष्णुजी का रूप कहा जाता है। कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन (Samudra Manthan) करके चौदह रत्नोंकी प्राप्ति की।
इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था। यूँ तो कहा जाता है ईश्वर हर जगह पाए जाते हैं हर जीव में परन्तु फिर भी इंसान उन्हें ढूंढता रहता है, इसी ढूंढने की होड़ में वह कई तरह के उपकरण को इस्तेमाल में लाता है। जैसे कि इस लेख में लिखा है कि भगवान विष्णु ने कछुआ (Tortoise) का अवतार लिया था तो व्यक्ति कछुए को विष्णु जी का रूप मानकर अपने पास रखना चाहते हैं इसी कड़ी में वह Tortoise Ring को धारण करते हैं। इसके कई फायदे भी बताए गए हैं परन्तु कई व्यक्ति इस अंगूठी को फैशन का तमगा हासिल करने के लिए पहनते हैं। जानते हैं Tortoise Ring पहनने के बारे में विस्तार से।
Moti Ratna | मोती रत्न का प्रभाव और धारण करने की विधि
ज्योतिषी विद्या में चंद्र को कर्क राशि का स्वामी कहा गया है, तथा चंद्र के ही शुभ प्रभाव के लिए ही जातक को मोती रत्न पहनने के लिए कहा जाता है ।
Tortoise Ring पहनने का महत्व
यदि आप भी उन व्यक्तियों में अपना नाम शुमार कर चुके हैं जिन्हें फैशन के नाम इस अंगूठी को धारण करने का मन बना लिया तो ध्यान रखिए कि यह अंगूठी आपको लक्ष्मी माँ की तरह राजा तो बना सकता है, परन्तु ध्यान न दिया जाए तो रंक भी बना सकता है। इसका महत्व निम्मनलिखित हैं।
- Tortoise Ring को वास्तुशास्त्र में बेहद शुभ माना गया है।
- यह अंगूठी व्यक्ति के जीवन के कई दोषों को शांत करती है।
- इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि यह आपके आत्मविश्वास को बनाए ही नहीं रखती बल्कि उसे बढ़ाती भी है। यानि आत्मविश्वास है तो सबकुछ पॉजीटिव और बेहद अच्छा होगा।
- शास्त्रों के मुताबिक कछुआ जल और थल दोनों में रहने वाला प्रतीक है। इस कारण यह सकारात्मकता और उन्नति का प्रतीक है।
- हिन्दू शास्त्रों में कछुआ भगवान विष्णु का अवतार भी है।
- समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के मुताबिक कछुआ समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और मां लक्ष्मी भी वहीं से आई थीं।इसीलिए वास्तु शास्त्र में कछुए को इतना महत्व प्रदान किया जाता है।
- कछुए को देवी लक्ष्मी (Devi Laxmi) के साथ जोड़कर धन बढ़ाने वाला माना गया है।
- इसके अलावा यह जीव धैर्य, शांति, निरंतरता और समृद्धि का भी प्रतीक है।
इन बातों का रखना होगा ध्यान
- Tortoise Ring से मिलने वाले लाभ आपको महीने भर में ही नजर आने लगेंगे। लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा ऐसा न करने पर इस रिंग के नुकसान भी आपको ही झेलने होंगे।
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक Kachua Ring चांदी से ही बनी हो।
- यदि आप किसी दूसरी धातु का प्रयोग करना चाहें जैसे कि सोना या कोई अन्य रत्न, तो Kachua के आकार को चांदी में बनवाकर उसके ऊपर सोने का डिजाइन या रत्न को जड़वा सकते हैं।
- इस अंगूठी को इस तरह बनवाएं कि जो इसे पहनेगा कछुए का सिर उसकी ओर घूमा हुआ हो।
- यदि इसके विपरीत दिशा में कछुए का मुंह होगा, तो धन आने की बजाय हाथ से चला जाएगा।
- इस अंगूठी को हमेशा सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी अंगुली में ही धारण करें।
- Kachua को मां लक्ष्मी के साथ जोड़ा गया है। इसलिए इसे धारण करने के लिए मां का दिन ही चुनें।
- यानी आपको इस अंगूठी को शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए। इससे मां के हर रूप का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।
- शुकवार को इस अंगूठी को खरीदें और घर लाकर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति के सामने रख दें।
- इसे दूध और पानी के मिश्रण से धोएं और अगरबत्ती करने के बाद ही पहनें।
- श्रद्धा के मुताबिक यदि आप चाहें तो इस दौरान मां लक्ष्मी के बीज मंत्र का निरंतर जाप भी कर सकते हैं।
- अक्सर लोगों की आदत होती है कि उंगलियों में पहनी रिंग को घुमाते रहते हैं। जबकि ऐसा करना सही नहीं होता।
- खासतौर पर यदि आपने Kachua Ring पहन ली है, तो उसे घुमाएं नहीं।
- ऐसा करने से Kachua का मुंह बार-बार दूसरी दिशाओं में घूमता है, जो वास्तु के हिसाब से सही नहीं है।
- जैसे-जैसे Kachua के मुंह की दिशा बदलेगी, धन के आगमन में भी उतनी ही रुकावटें रहेंगी।
मान्यता Kachua से जुड़ी हुई
- Kachua के चार पैर होते हैं जेसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष का प्रतीक माना गया है।
- Kachua का मुख ऊपर की ओर होता है इसलिए उसे स्वर्ग ले जाने वाला द्धार माना जाता है।
- जबकि Kachua की पुंछ ऊपर से नीचे की तरफ है इसलिए उसे धरती का प्रवेश द्धार माना जाता है।
- Kachua की पीठ को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड माना गया है और उसकी नौ धारियां ब्रह्माण्ड को 9 खण्डों में बांटती है।
- Kachua का रंग प्रकर्ति, उम्र सबसे अधिक और शांत जीव होने के कारण उसे मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
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