इस संसार में अनगिनत रहस्य छुपे हुए हैं, जिसकी खोज में प्रत्येक व्यक्ति अपने समय अनुसार लगा हुआ है। इसी संसार के अद्भुत अनगिनत रहस्यों में से रत्नों का संसार भी है। रत्नों का भी अनोखा संसार है जिसकी खुद की भी हैरान करने वाली दुनिया है। इस रत्न से जुड़े कई रहस्य हैं जिसको व्यक्ति जानने के लिए उत्सुक्त रहता है। हालांकि कई इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि उन्हें रत्नों का पूर्ण ज्ञान है परन्तु रत्नों का विषय अपने आप में ही इतना विशाल है कि इसे जितना जानलो उतना ही कम है।
रत्न को पाने के लिए हर कोई उतावला रहता है, परन्तु इसका उत्तर कोई नहीं दे पाया कि रत्न में ऐसा क्या है, जो यह सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। चंद्र-रत्न मोती को संस्कृत में मौक्तिक, चंद्रमणि इत्यादि, हिंदी-पंजाबी में मोती / Moti एवं अंग्रेजी में पर्ल (Pearl / Moonstone) कहा जाता है। पहचान- शुद्ध एवं श्रेष्ठ मोती गोल, श्वेत, उज्जवल, चिकना, चन्द्रमा के समान कान्तियुक्त, निर्मल एवं हल्कापन लिए होता है। सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिषीय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल (Pearl) के नाम से भी जाना जाता है।
रत्न और स्वास्थ्य | किस बीमारी में कौन सा रत्न पहने
रत्न प्रकृति प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है। यह अपनी सुंदरता के कारण लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है हालांकि कई लोग रत्न को केवल दिखावे के लिए इस्तेमाल में लाते हैं।
चंद्र कर्क (Cancer) राशि के स्वामी है
ज्योतिषी विद्या में चंद्र को कर्क राशि (Cancer) का स्वामी कहा गया है, तथा चंद्र के ही शुभ प्रभाव के लिए ही जातक को मोती रत्न पहनने के लिए कहा जाता है। इसे शीतलता युक्त रत्न भी माना जाता है। अन्य संस्क्रत भाषा मे इस रत्न को मुक्ता कह पुकारा जाता है।
यह मोती रंग में पीला, फीका सफेद, हल्का नीला, लाल गुलाबी इत्यादि रंगों में बाजार में उपलब्ध हैं।
मोती रत्न (Moti Ratna) के लाभ
ज्योतिष के अनुसार किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति व उसके प्रभाव के अनुसार मोती के अलग-अलग लाभ मिलते है इसलिए जब कभी भी आप मोती को धारण करने का मन बनाये तो किसी जानकार से सलाह अवश्य ले। मन व शरीर को शांत व शीतल बनाएं रखने के लिए मोती रत्न को धारण करना चाहिए। नेत्र रोग, गर्भाशय रोग व ह्रदय रोग में मोती धारण करने से लाभ मिलता है। अगर किसी जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह के साथ राहु और केतु के योग बना हो तो मोती रत्न धारण करने से राहू और केतु के बुरे प्रभाव कम होने लगता हैं।
मोती रत्न धारण करने की विधि
Moti ratn को शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार के दिन चांदी की अँगूठी में बनाकर सीधे हाथ की सबसे छोटी ऊंगली में पहनना चाहिए, इसे धारण करने से पूर्व दूध-दही-शहद-घी-तुलसी पत्ते आदि से पंचामृत स्नान कराने के बाद गंगाजल साफ कर दूप-दीप व कुमकुम से पूजन कर इस मंत्र को 108 बार जपने के बाद ही धारण करें।
मंत्र:– ॐ चं चन्द्राय नमः
किसी भी रत्न का सकारात्मक प्रभाव तभी तक रहता है जब तक कि उसकी शुद्धता बनी रहती है।
स्वास्थ्य में मोती/Pearl का लाभ
* मानसिक शांति, अनिद्रा आदि की पीड़ा में मोती बेहद लाभदायक माना जाता है।
* नेत्र रोग तथा गर्भाशय जैसे समस्या से बचने के लिए मोती धारण किया जाता है।
* मोती, हृदय संबंधित रोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
असली एवं नकली मोती रत्न के बीच अंतर कैसे जानें
परीक्षा- (1) गोमूत्र को किसी मिट्टी के बर्तन में डालकर उसमें मोती रात भर रखे, यदि वह अखण्डित रहे तो मोती को शुद्ध (सच्चा) समझे।
परीक्षा- (2) पानी से भरे शीशे के गिलास में मोती डाल दें यदि पानी से किरणे सी निकालती दिखलाई पड़े, तो मोती असली जाने। शुद्ध मोती के अभाव में चंद्रकांत मणि अथवा सफ़ेद पुखराज धारण किया जा सकता है।
असली शुद्ध मोती धारण करने से मानसिक शक्ति का विकास, शारीरिक सौन्दर्य की वृद्धि, स्त्री एवं धनादि सुखो की प्राप्ति होती है। इसका प्रयोग स्मरण शक्ति में भी वृद्धिकारक होता है।