Manchahi Santan

उत्तम Manchahi Santan कैसे प्राप्त करे?

व्यक्ति के किए सबसे खास  दिवस उसकी शादी का समय होता है जब वह अपनी युवा अवस्था को त्याग कर एक जिम्मेदार इंसान बनने की ओर कदम रखता है। शादी में दो रूहों का एक होना और एक दूसरे की खुशियों में शामिल होना भी बेहद खास वक्त का अनुभव कराता है।

शादी के बाद परिवार में नई उमंग उन दो रूहों से उतपन्न हुए संतान लाता है, जिसका इंतजार माता-पिता के साथ साथ हर वह परिवार का सदस्य इंतजार कर रहा होता है जो परिवार से किसी न किसी तरीके से रिश्ता रखता हो। परन्तु दुर्भाग्य से कई माता पिता को संतान सुख नहीं मिल पाता या यूं कहें उत्तम Manchahi santan प्राप्ति नहीं हो पाती।

संतान बिन घर केवल चार दीवार समान रहता है, यह तो बच्चे की शरारत ही घर को घर बनाती है। संतान की प्राप्ति न होने कई कारण हो सकते हैं। इस समस्या के निदान के लिए चिकित्सकीय मार्गदर्शन तो आवश्यक है ही लेकिन साथ ही यदि नीचे लिखा उपाय भी किया जाए तो Manchahi Santan प्राप्ति की संभावना और भी अधिक हो जाती है।

Manchahi Santan प्राप्ति के लिए उपाय

संतान सुख पाने हेतु दम्पति अर्थात वधु को शुक्ल पक्ष में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में स्थापित करके लगातार 16 गुरुवार को ब्रत रखकर केले और पीपल के वृक्ष की सेवा करें उनमे दूध चीनी मिश्रित जल चड़ाकर धुप अगरबत्ती जलाये फिर मासिक धर्म से ठीक तेहरवीं रात्रि में अपने पति से रमण करें संतान सुख अति शीघ्र प्राप्त होगा।

जाने अपनी कुंडली में संतान योग

माता–पिता होना जिंदगी में सबसे अनमोल वक्त होता है। जब कोई आपको अपनी प्यारी सी तोतली आवाज में माँ कहे तो आप अपना पूरा दर्द भूल जाते हैं। परन्तु यह सुख हर माँ नहीं भोग पाती।

अगर यह उपाय आपके लिए कारगर साबित न हुए तो घबराइ मत दूसरे उपाय भी आजमाकर देखिए, बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर पति-पत्नी संयुक्त रूप से बाल गणेश की पूजा करें तथा अपने घर के मुख्य द्वार पर बाल गणपति की प्रतिमा लगाएं। आते-जाते इस प्रतिमा के समक्ष नमस्कार करें। प्रति बुधवार को गणेशजी का पूजन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान से जप करें। इस मंत्र का जप करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। इसके लिए व्यक्ति को

संतान गणपतये नम: गर्भदोषहो नम: पुत्र पौत्राय नम:,

यह मंत्र प्रतिदिन जप करने से पति पत्नी के संतान सुख की इच्छा जल्द पूर्ण होती है। कई उपायों को टोटके के श्रेणी में भी डालते हैं क्योंकि वह उन पर प्रयोग करने पर लाभ नहीं देते। अगर ऊपर दिए गए उपायों ने भी आपका साथ नहीं दिया है तो, संतान सुख के लिए स्त्री गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं, शीघ्र ही अच्छी खबर से पूरा घर गूंज उठेगा।

शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें …निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी।

रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाये और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी।

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है।

नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमे शुद्ध देशी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बड़ जाती है।

माघ शुक्ल षष्ठी को संतानप्राप्ति की कामना से शीतला षष्ठी का व्रत रखा जाता है। कहीं-कहीं इसे ‘बासियौरा’ नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर मां शीतला देवी का षोडशोपचार-पूर्वक पूजन करना चाहिये। इस दिन बासी भोजन का भोग लगाकर बासी भोजन ग्रहण किया जाता है।

Manchahi Santan प्राप्ति हेतु स्त्री को हमेशा पुरूष के बायें तरफ़ सोना चाहिये. कुछ देर बांयी करवट लेटने से दायां स्वर और दाहिनी करवट लेटने से बांया स्वर चालू हो जाता है. इस स्थिति में जब पुरूष का दांया स्वर चलने लगे और स्त्री का बांया स्वर चलने लगे तभी दम्पति को आपस में सम्बन्ध बनाना चाहिए. इस स्थिति में अगर गर्भादान हो गया तो अवश्य ही पुत्र उत्पन्न होगा।

कौन सा स्वर चल रहा है इसकी जांच नथुनों पर अंगुली रखकरकर सकते है। योग्य कन्या संतान की प्राप्ति के लिये स्त्री को हमेशा पुरूष के दाहिनी और सोना चाहिये. इस स्थिति मे स्त्री का दाहिना स्वर चलने लगेगा और स्त्री के बायीं तरफ़ लेटे पुरूष का बांया स्वर चलने लगेगा. इस स्थिति में अगर गर्भ ठहरता है तो निश्चित ही सुयोग्य और गुणवान कन्या प्राप्त होगी। 

कुछ राते ये भी है जिसमे हमें सम्बन्ध बनाने से बचना चाहिए .. जैसे अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवाश्या। गर्भाधान के लिए ऋतुकाल की आठवीं, दसवी और बारहवीं रात्रि सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इन रात्रियों में सम्बन्ध बनाने के बाद स्त्री के गर्भधारण करने से संतान की कामना रखने वाले दम्पतियों को श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति की सम्भावना बहुत बड़ जाती है।

यदि आप अति उत्तम गुणवान संतान प्राप्त करना चाहते हैं,तो यहाँ दी गयी माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी का अवश्य ही ध्यान रखें।

  • चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा हुए पुत्र की आयु कम होती है और उसे जीवन में धन के आभाव का सामना करना पड़ता है।
  • पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या को भविष्य में पुत्र रत्न की सम्भावना क्षीण होगी वह सिर्फ लड़की ही पैदा करेगी।
  • छठवीं रात्रि के गर्भ से पुत्र उत्पन्न होगा जो मध्यम आयु वाला होगा।
  • सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होती है, वह भविष्य में संतान को जन्म देने में असमर्थ होगी।
  • आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र धनी होता है, वह जीवन में समस्त ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।
  • नौवीं रात्रि के गर्भ से उत्पन्न पुत्री धनवान होती है उसे अपने जीवन में समस्त ऐश्वर्य प्राप्त होते है।
  • दसवीं रात्रि के गर्भ से बुद्धिमान पुत्र जन्म लेता है।
  • ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री का जन्म होता है।
  • बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
  • तेरहवीं रात्रि के गर्भ से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
  • चौदहवीं रात्रि के गर्भ से भाग्यशाली उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
  • पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से अति सौभाग्यवती पुत्री जन्म लेती है।
  • सोलहवीं रात्रि के गर्भ से अपने कुल का नाम रोशन करने वाला सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।

अगर स्त्री किसी भी कारणवश गर्भ धारण नहीं कर पा रही हो तो पति पत्नी मंगलवार के दिन कुम्हार के घर जाकर उससे प्रार्थना कर मिट्टी के बर्तन बनाने वाला डोरा ले आएं।फिर उसे किसी गिलास में जल भरकर डाल दें। कुछ समय पश्चात उस डोरे को निकाल कर वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह क्रिया केवल मंगलवार को ही करनी है और उस दिन पति-पत्नी अवश्य ही सम्बन्ध बनांये। गर्भ ठहरते ही उस डोरे को मंदिर में हनुमानजी के चरणों में रख दें और हनुमान जी से अपने सुरक्षित प्रसव के लिए प्रार्थना करें।

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