भगवान शिव जिन्हें श्रिष्टि के विनाशक रूप में स्थापित किया गया है। यह इस धरती पर जन्में हर जीव का परम सत्य है कि जो यहाँ पैदा हुआ उसका एक न एक दिन मृत्यु निश्चित है , ताकि संसार की नए तरह से संचार हो सके। त्रिदेव जिनमे ब्रह्मा जी दूसरे विष्णु भगवान एवं तीसरे महाकाल शिव। इनमें महाकाल शिव का यही कर्तव्य है कि वह संसार से खराब हुए तत्वों की विनाश प्रक्रिया को शुरू कर उसे अंतिम रूप दे। हालांकि शिव जी को यह कार्य सौंपा गया है, परन्तु फिर भी शिव जी महाकाल के अतिरिक्त भोलेनाथ नाम से भी प्रसिद्ध हैं, अर्थात इन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान माना गया है।
शिव की उपस्थिति हर स्थान, हर जीव में हैं तभी तो कहा जाता है इनसे कुछ छुपा नहीं। ज्योतिषों का मानना है कि शिव की उपस्थिति रुद्राक्ष में भी है। भक्त इन्हें खुश करने के लिए हर सोमवार व्रत रखते हैं और शिवरात्रि पर्व पर लगने वाली भीड़ यह बतलाती है कि भक्तों का शिव के प्रति कितना स्नेह है।
हिन्दू धर्म में वेद – पुराणों के अनुसार जहां भगवान शिव खुद प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के रूप शिवलिंगों को पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है की इन स्थानों पर भगवान शिव साक्षात् रूप में वास करते है। भगवान यहां कब प्रकट हुई ये कोई नहीं जनता इसका अनुमान लगाना भी अभी तक संभव नहीं हो पाया है। लेकिन हिंदुओं में ये मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह और शाम के समय शिव के इन बारह ज्योतिर्लिंग का नाम लेता है उनका सुमिरन करता है, उसके सात जन्मों का पाप इन ज्योतिर्लिंग के स्मरण मात्र से कट जाता है। शिव जी की 12 ज्योतिर्लिंग, जो की अलग-अलग जगह पर विद्यमान है।
शिव जी की आरती और व्रत विधि
शिव,भोलेनाथ, महादेव, पशुपतिनाथ, या कहो नटराज या महाकाल। हर नाम शिव जी का व्यक्तित्व दर्शाता है। वह अपने भोलेपन के लिए जितना जाने जाते हैं उतना ही अपने क्रोध के लिए भी।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग
- काशी विश्वनाथ:- काशी उत्तरप्रदेश का बहुचर्चित शहर जिसे मुख्यत वाराणासी भी कहा जाता है। गंगा नदी के तट पर बसा हुआ यह शहर अपने आप में भारतीय धार्मिक लोगों का आवास बना हुआ है। काशी की मान्यता है, कि संसार में प्रलय आने पर भी भगवन शिव का यह स्थान बना रहेगा। काशी की रक्षा के लिए भोलेनाथ भगवान इस स्थान को अपने प्रिय त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने के बाद काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
- सोमनाथ मंदिर:- इस पृथ्वी का सबसे पहला शिव ज्योतिलिंग से पहचान बनाने वाला यह मंदिर जो कि गुजरात में स्थित है। इसकी कथा शिवपुराण में भी लिखित है, मान्यता अनुसार चन्द्रमा जिन्हें राजा दक्ष से मिले श्राप के निवारण के लिए ब्रह्मा जी ने शिव जी को रिझाने का सुझाव दिया। कहा जाता है कि राजा दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से किया लेकिन वह उनमें से केवल रोहिणी को अत्यधिक स्नेह करते थे। अपनी उपेक्षा होते देख बाकी कन्याअों ने सारी व्यथा अपने पिता दक्ष को बताई। राजा दक्ष के बार-बार समझाने पर भी चंद्रमा ने अपना व्यवहार नहीं सुधारा तो उन्होंने उसे क्षयरोग होने का श्राप दे दिया। ब्रह्मा जी ने विधिपूर्वक शुभ मृत्युंजय-मंत्र का अनुष्ठान करने को कहा। सोमनाथ के समीप बह रही नदी के किनारे चंद्रदेव ने भगवान महादेव की अर्चना-वंदना और अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने वर दिया कि चंद्रमा की कला 15 दिन प्रकाशमय अौर 15 दिन क्षीण हुआ करेगी। उनकी दृढ़ भक्ति को देखकर भगवान शिव साकार लिंग रूप में प्रकट हो गए अौर स्वयं ‘सोमेश्वर’ कहलाने लगे। चंद्रमा के नाम पर सोमनाथ बने भगवान शिव संसार में ‘सोमनाथ’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। यहां पहला सोमनाथ मंदिर चंद्रमा ने ही बनाया था।
- मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग:- भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में श्रीशैल नामक पर्वत पर है। शिव के इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान माना गया है।
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि, ये भगवान शिव का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। महाकालेश्वर में होने वाली भस्मारती भारत ही नहीं विश्व भर में प्रसिद्ध है।
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर शिव का यह ज्योतिर्लिंग है, उस स्थान पर पवित्र नर्मदा नदी बहती है और उस पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार भी बन जाता है।
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह शिवलिंग उत्तराखंड में स्थित है। यह तीर्थ स्थान भगवान शिव को बेहद प्रिय है।
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – श्री वैद्यनाथ शिवलिंगों का समस्त ज्योतिर्लिंग की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की महिमा के बारे में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडू राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। शिव जी के इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी।
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह सबसे आखिरी ज्योतिर्लिंग है।