सोच यह व्यक्ति के पास मौजूद सबसे बड़ी ताकत है, जो इंसान एवं जानवरों में अंतर पैदा करता है। हर अलग इंसान की सोच भिन्न होती है। इंसान ही वैसा प्राणी है जो अपनी सोच के मुताबिक जिस राह पर चलता है उसे बदल भी सकता है, परन्तु जिस व्यक्ति के पास खुद की सोच नहीं वह उसी रास्ते पर चलने को मजबूर रहता है, जहाँ वह या तो गलती से पहुंच गया है या उसे पहुंचा दिया गया है। व्यक्ति की सोच की सीमा का अभी तक अंदाजा लगाना बड़ा ही कठिन माना गया है, अब तो यह चाँद की उस सतह पर कदम रख चुका है जहाँ पहुंचना कई देशों के लिए दुर्लभ है। सभी उम्र के व्यक्तियों की सोच अलग होती है, ठीक उसी तरह व्यापारियों की सोच भी भिन्न होती है, उसे हर वक्त व्यापार को बढ़ाने का सोच रहता है। व्यापार में शुभ संकेत चाहते हैं तो धारण कीजिए 11 Mukhi Rudraksha। जानिए इसके बारे में
11 Mukhi Rudraksha
Rudraksha एक फल की गुठली है , जिसका प्रयोग आध्यात्मिक तौर पर किया जाता है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष में साक्षात शिव जी वास करते हैं तभी इसे पहनके व्यक्ति एक नई ऊर्जा का आभास करता है। Rudraksha के कुल मिलाकर चौदह प्रकार होते हैं जिसके नाम एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक है। भारत और नेपाल में Rudraksha के माला पहनने की एक पुरानी परंपरा है विशेष रूप से शैव मतालाम्बियों में जो उनके भगवान शिव के साथ उनके सम्बन्ध को दर्शाता है। भगवान शिव खुद रुद्राक्ष माला पहनते हैं एवं ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी Rudraksha माला का उपयोग करके दोहराया जाता है। यद्यपि महिलाओं के रुद्राक्ष पहनने पर कोई विशिष्ट प्रतिबंध नहीं है, लेकिन महिलाओं के लिए मोती जैसे अन्य सामग्रियों से बने मोती पहनना आम बात है। यह माला हर समय पहना जा सकता है, केवल स्नान करते समय इसको उतार देते हैं पानी रुद्राक्ष बीज को हाइड्रेट कर सकते हैं। इसी में 11 Mukhi Rudraksha की भी अपना महत्त्व है। यह विशेष रुद्राक्ष विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है। भगवान शिव का रुद्र रूप है ग्यारह मुखी रुद्राक्ष। 11 Mukhi Rudraksha को शिखा में बांधना या गले में धारण करना चाहिए। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान इंद्र का स्वरूप भी माना जाता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष जिसमें शिव करते हैं पांचों रूपों में वास
पंचमुखी रुद्राक्ष के शासक स्वयं भगवान शिव हैं। कहा जाता है जिज़ व्यक्ति के भीतर वासना,क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का स्थान होता है
11 Mukhi Rudraksha के लाभ
- 11 Mukhi Rudraksha को धारण करने और नियमित इससे मंत्र का जाप करने से अश्वमेघ यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है।
- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष से सबसे ज्याद व्यापारियों को लाभ मिलता है क्योंकि इससे आय के स्रोत खुलते हैं और व्यापार में वृद्धि होती है एवं नए अवसर प्राप्त होते हैं।
- यदि आप अपना मनोबल बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको ग्यारह मुखी रुद्राक्ष से लाभ होगा।
- इस 11 Mukhi Rudraksha को धारण करने वाले व्यक्ति को राजनीति, कूटनीति और हर क्षेत्र में विजय हासिल होती है।
- संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या पति की तबियत खराब रहती है तो 11 Mukhi Rudraksha धारण करें।
कैसे करें प्रयोग 11 Mukhi Rudraksha
11 Mukhi Rudraksha को सोमवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन ही धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं हूं नमः” है।
इसके पश्चात् तीन माला का “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इससे आपको 11 Mukhi Rudraksha का दस गुना अधिक लाभ प्राप्त होगा।
11 Mukhi Rudraksha धारण करने के नियम तथा विधि
11 Mukhi Rudraksha धारण करनेवाला व्यक्ति सदाचार का पालन करनेवाला होना चाहिए। 11 Mukhi Rudraksha धारण करने वाले व्यक्ति की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए। मांस-मदीरा या अन्य नशे की वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना शुभ होता है। 11 Mukhi Rudraksha धारण करने से पूर्व गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें। प्रातःकाल में सूर्य को ताम्बे के लोटे से जल चढ़ाएँ। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को जागृत करने के लिए”ॐ ह्रीं हूँ नमः” मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।