धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
हिंदी महीने के अनुसार कार्तिक मॉस की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाये जाने वाले इस त्यौहार को धनत्रयोदशी या धनतेरस के नाम से जाना जाता है| दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाने वाले त्यौहार को मनाने की वजह यह है कि इसी दिन भगवान् धन्वन्तरी का जन्म हुआ था| इसी दिन पर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान् महावीर जी ज्ञान भी तीसरे और चौथे ध्यान के लिए योग निरोध के लिए चले गए थे| अतः जैन धर्म के अनुयायी इसे ध्यानतेरस के नाम से इसे जानते है|
बताया जाता है की भगवान् धन्वन्तरी जब समुद्र मंथन के दौरान त्रयोदशी तिथि को ही दोनों हाथो में कलश लेकर उत्पन्न हुए थे| इस वजह से इस दिन पर बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है परन्तु कुछ लोग इस दिन पर अपने व्यवसाय से सम्बंधित वस्तुएं खरीदते है| उनका मानना है कि इस दिन पर कुछ भी खरीदना शुभ होता है| अतः लोग अपने जरुरत की वस्तुएं खरीदना ज्यादा पसंद करते है| इस दिन पर कुछ लोग चांदी खरीदना शुभ मानते है| वही कुछ लोग इस दिन पर गणेश लक्ष्मी की मूर्तियाँ खरीदना उचित समझते है|
यह पर्व भी हिन्दुओं में एक प्रमुख पर्व है| अतः इस पर्व को भी लोग विशेष रूप से तैयारिया करते है और प्राचीन परंपरा के अनुसार मानते है| इस दिन पर एक तो लोग खरीद दारी करना शुभ मानते है और दूसरा है रात्रि में घर के मुख्य द्वार पर और आँगन में दिया जलाना| इस रीति को मनाने के पीछे भी कुछ वजह है| जिसके चलते लोगो अभी भी इतने वर्षों के बाद भी इस प्रथा को मानते चले आ रहे है|
धनतेरस पर क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिए जलाने के पीछे मान्यता यह है की एक गन्धर्व विवाहित जोड़े के पुरुष को विवाह के मात्र चार दिन बाद ही यमदूत ले जा रहे थे| तो उसकी पत्नी की स्थिति देखकर यमदूतों ने यमराज से अकाल म्रत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा कि जो प्राणी धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जला कर रखेगा वो कभी भी अकाल म्रत्यु नहीं मरेगा| इस वजह से लोग धनतेरस पर दिया भी जला कर रखते है और कुछ लोग व्रत भी रहते है|
ज्योतिष द्रष्टि कोण से भी इस दिन चन्द्रमा कन्या राशि के आसपास भ्रमण करता है| चन्द्रमा राशि स्वस्थ्य की देखभाल की राशि है| इस दिन सूर्य तुला राशि में होता है| जिससे की शुक्र प्रभावी रहता है और शुक्र भी स्वस्थ्य का स्वामी है| दोनों योग मिलकर स्वस्थ्य को प्रभावी कर देते है जिसके कारण इस अवसर पर ज्योतिषशाश्त्र के द्रष्टिकोण से यह अवसर स्वस्थ्य के लिए भी बहुत अनुकूल समय होता है|
इस वर्ष धनतेरस 5 नवम्बर 2018 दिन सोमवार को मनाया जा रहा है| धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 6:05 से शाम 8:01 मिनट तक है| धनतेरस पूजा की अवधि 1 घंटा 55 मिनट की है| भगवान् धन्वन्तरी की प्रिय धातु पीतल है| अतः पूजा में पीतल धातु का प्रयोग अवश्य करें| अगर संभव हो तो कलश पीतल का ही बनायें|