स्वस्तिक का निशान एक शुभ का प्रतीक है जो नए घर या नई कार पर अपना निशान छोड़ जाता है। इसे सतिया कहा जाता है और बाबा बर्फानी के पुत्र गणेश जी का प्रतीक भी माना गया है। हिन्दू धर्म मे इस चिन्ह के प्रति आस्था ही इसको अलग दर्जा प्राप्त कराता है।
पूर्व-पश्चिम-उतर और दक्षिण यह चार दिशाओं को सम्भोदित करता चिन्ह वास्तव में अग्नि , इंद्र , वरुण एवं सोम की ओर इशारा करता है यह चारों दिशाओं के अधिपति देवता माने जाते हैं। इन सभी देवताओं की आराधना हेतु स्वस्तिक का निशान उपयोग में लाया जाता है । इसमें उपलब्ध चारो रेखा चारो वेदों को दर्शाती है जो ऋग्, यजु, साम और अथर्व वेद हैं।
व्यापार में सफलता के अचूक उपाय
धन यह दुनिया में मौजूद उन चुनिंदा या यूं कहें एक मात्र ऐसी दवा है जिससे सब बीमारी का हल निकल सकता है , यह इंसान की हर जरूरत को पूरा कर सकता है।
स्वस्तिक का प्रयोग क्यों किया जाता है
अगर आप हिन्दू धर्म से नाता रखते हैं तो आपने अब तक अपने जीवन काल में कभी न कभी यह चिन्ह देखा होगा, यह चिन्ह हल्दी से अमूमन बनाया जाता है या तो लाल सिंदूर से भी उपयोग में लाया जा रहा है। इसे निम्न फायदे हैं।
- स्वस्तिक का निशान सब दिशा से समान रूप से दिखाई देने के कारण इसे घर के वास्तु में लाभकारी माना गया है। यह आप घर के मुख्य द्वार पर बना हुआ पाएंगे।
- हिन्दू धर्म मे यह माना गया है यदि धन की देवी लक्ष्मी माँ को खुश करने के लिए चांदी में नवरत्न लगाकर पूर्वी दिशा में रख दिया जाए तो माँ खुश होती है।
- स्वस्तिक का चिन्ह व्यापार के लिए भी काफी लाभकारी है किसी विद्वान द्वारा बनाया गया निशान अगर उतर दिशा स्थापित किया जाए तो व्यापार में रात दोगुने और रात चौगुनी तरक्की करोगे।
- धन लाभ के साथ स्वस्तिक आपके स्वास्थ्य के लिये भी उपयोगी है। तकिया पर अपने स्वप्न में गोते लगाने से पहले अगर आप अपनी तर्जनी से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएंगे तो आपको कभी कोई बुरे सपने नहीं दिखेंगे,आप अपनी जिंदगी में जरूरी प्रभाव को महसूस कर पाएंगे।