ॐ शं शनैश्चराय नमः॥ यह मंत्र का उच्चारण हर शनिवार को शनि देव के मंदिर में तेल चढ़ाते हुए लिया जाता है। शनि देव जो कि सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ में जन्मे पुत्र हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार शनि देव जब छाया जी के गर्भ में थे तब छाया जी का पूर्ण ध्यान बाबा बर्फानी भोलेनाथ की भक्ति में लीन था, जिसका असर शनि देव पर पड़ा, वह असर सूर्य देव को क्रोधित कर देता है जिससे वह शनि देव को अपना पुत्र अपनाने से मना कर देते है। तभी से शनि देव अपने पिता सूर्य देव से शत्रु के तरह मानते थे। अपनी भगवान शिव के प्रति असीम भक्ति और कठोर तपस्या से उन्हें शिव जी से वरदान लिया कि वह अपने पिता से काफी ताकतवर बनना चाहते हैं ताकि वे अपनी माँ के अपमान का बदला ले पाए। शनि देव जिनकी साढ़े साती के प्रकोप से हर कोई भयभीत रहता है। नवग्रहों में सबसे परमूख स्थान शनि देव का ही है और इन्हें ग्रहों में मकर और कुंभ का स्वामी कहा जाता है।
शनि की साढ़े साती: करें ये विशेष उपाय, लौट आएंगे अच्छे दिन!
क्रोध में ग्रस्त व्यक्ति को यह ज्ञात नहीं हो पाता वह क्या कर रहा है। शनि देव जिन्होंने अपने क्रोध की दृष्टि से अपने पिता सूर्य देव तक को नहीं छोड़ा। उन्हें काला कर दिया उनसे बचने के लिए सूर्य देव को महादेव शिव की मदद लेनी पड़ी।
कब होती है शनि जयंती
शनि जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ मास के अमावस्या को मनाया जाता है,यह माना जाता है इस दिन जिसने शनि देव को प्रसन्न कर दिया वह उनके कोप से बच सकता है। यदि आप पहले से हि यह प्रकोप को अपने जीवन मे महसूस कर रहें हैं तो भी आपके लिए यह दिन बहुत लाभकारी हो सकता है।
कैसे करनी चाहिए शनि पूजा
शनि देव जी की पूजा कोई कठिन कार्य नहीं यह भी सभी देवी देवताओं के पूजा समान है , प्रातः काल सवेरे उठकर पहले स्नान करें , फिर लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उसपर शनि देव की प्रतिमा रखे और उसे स्नान कराए, उस मूरत के दोनों ओर शुद्ध घी एवं तेल का दीपक व धूप जलाएं। इसके बाद काजल, सिंदूर और कुमकुम लगाकर नीले और काले रंग का फूल अर्पित करें। पूजा के दौरान माला और शनि चालीसा का उच्चारण करना चाहिए और बाद में शनि आरती।
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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शनि जयंती | शुक्रवार | 22 मई 2020 |
शनि जयंती पूजा समय :
अमावस्या तिथि शुरू : 21:35 – 21 मई 2020
अमावस्या तिथि ख़त्म : 23:05 – 22 मई 2020