भारत मे स्त्री को देवी स्वरूप पूजा जाता है। स्त्री का शख्स के जिंदगी में हिस्सा काफी अनमोल है। एक स्त्री आपकी माँ बहन, आपकी दोस्त या और आपकी जीवन साथी के तौर पर परिचित होती है। समाज के हर क्षेत्र में अब लड़कियां काफी हद तक आगे निकल चुकी हैं, जिससे वह सिर्फ अपना नही ,समाज का भला करती हैं। कहा गया है जब एक व्यक्ति शिक्षित होता है तो वह अपना कल बनाता है पर जब एक औरत शिक्षित होती है तो वह अपने साथ पूरे पीढ़ियो को शिक्षित करती हैं। यह समाज की सरंचना ब्रह्मा जी ने की और आगे औरतों ने बढ़ाया। बिन देवी रूप स्त्री हमारा कोई वजूद नहीं। उसी वजूद की , शक्ति की आराधना साल में 2 बार भारत मे नवरात्र व्रत के 9 दिन में किया जाता है। जहाँ श्रद्धालु 9 दिन देवी माँ के 9 स्वरूप की पूजा करते हैं और उनसे अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सहायता। चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से पहचान बनाने वाले इन नवरात्रों के अलावा देवी माँ के साल में दो बार जिसे अमूमन मुश्किल पूजा माना जाता है, इसे गुप्त नवरात्री पर्व भी कहा जाता है। इसके परिणाम रौंगटे खड़े कर देने वाले होते हैं।
नवरात्र का तीसरा दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा विधि
नवरात्र में माँ के नौ रूपो का आशीर्वाद लिया जाता है । इन्ही नौ रूपों में तीसरा रूप माँ चंद्रघंटा के नाम दर्ज है । माँ चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी लिए इन्हें चंद्रघंटा कहाजाता है।
कथा गुप्त नवरात्री की
गुप्त नवरात्री की कथा का वर्णन हमें किताबो में मिल जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन ऋषि श्रंगी अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे तभी एक असहाय औरत अपनी पुकार लिए ऋषि से अपनी दुख भरी दस्ता का हल सुझाने के लिए पुकार करने लगी। उसने कहा “मान्यवर मैं माँ दुर्गा का नवरात्री पर्व के 9 दिन व्रत और उनकी आराधना करके गुजारना चाहती हूं, पर मेरे पति मुझे नहीं करने देते, इसका कोई उपाय दे”। तो ऋषि ने उस औरत को कहा कि साल में दो बार आने वाले नवरात्री की जानकारी सभी को है परन्तु साल में दो बार गुप्त नवरात्री भी आते है इसको करने से तुम्हे हर शक्ति मिलेगी , तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण होगी। ऋषि की यह बात सुन वह औरत बहुत खुश हुई और उसने बहुत कठोर तप किया अपनी भक्ति व साधना से उसने माँ का दिल जीत लिया और उसका पति अब बुरे व्यक्ति से एक अच्छे पति और अच्छे व्यक्ति में तब्दील हो गया। ऐसा सब उसकी माँ के प्रति लग्न और विस्वास से हुआ। अब वह नियमित व्रत रखती माँ का और खुश रहती।
नवरात्र का दूसरा दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि
नवरात्र व्रत यह हिन्दू परम्परा में ऐसे नौ रातों में फैला त्योहार है । इन नौ रातों में देवी शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना होती है और दसवां दिवस दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है।
गुप्त नवरात्री की पूजा की विधि
गुप्त नवरात्री की पूजा की विधि हूबहू बाकी नवरात्रों जैसी है। सुबह जल्दी उठना और फिर स्नान करके शुद्व होना। ग्रह मंदिर में जाकर परिवार समेत माँ की सुबह-शाम आरती और कथा का उच्चारण करना। 8 वें या 9 वें दिन कन्याओं की पूजा के साथ व्रत का उद्यापन करना। गुप्त नवरात्री में आप माँ के 9 रूप के साथ 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं। अतः आपसे निवेदन है कि यह साधना किसी प्रख्यात साधक के मार्गदर्शन में किया जाए अथवा इसकी गलत विधि का बुरा प्रकोप भी पड़ सकता है।
कब है गुप्त नवरात्री?
गुप्त नवरात्री अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक फरवरी में थे जिसे हिन्दू कैलेंडर में माघ मास से नवाजा गया है। दूसरा गुप्त नवरात्री जुलाई 3 से 11जुलाई तक हुई। जिसे आषाढ़ गुप्त नवरात्री कहा गया। जो आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष से शुरुआत होने से नवमी तिथि तक मनाया जाता है।