खजाने के गुप्तरक्ष्क जीवाधारी की दुनिया: रहस्यकथा Pandit Ji September 24, 2019September 24, 2019 विविध-लेख0 0 शेयर करेंव्यक्ति के जीवनकाल में वह जो भी कार्य करता है उसका मकसद उस कार्य के रास्ते चलकर धन प्राप्ति के लिए होता है। धन व्यक्ति के हर जरूरत को पूरा कर सकता है। इसी धन रूपी खुशी को पाने के लिए व्यक्ति मेहनती भी बनता है तो कई व्यक्ति चोर और डकैत भी बन जाते हैं। इतिहास में झांके तो धन को आभूषण और स्वर्ण मुद्राओं में गिना जाता था जिसे हम खजाना भी कहते हैं। इसी खजाने को लेकर बहुत सी रहस्यकथा प्रचलित हैं।माना जाता है कि खजाने के रक्षक के रूप भूत-प्रेत होते हैं जो स्वयं को कुछ भी होने के बावजूद खजाने को किसी को छूने नहीं देंगे। इनपर खजानों के देव का अत्यंत भरोसा होता है। हालांकि कई इन भूत प्रेत को इंसान ही मानते हैं ऐसे इंसान जिनकी पास आम इंसानों से अधिक ताकत पाई जाती है। इन रक्षक को ही जीवाधारी कहा जाता है। खजानों के रक्षक की कथा आपको हॉलीवुड और बॉलीवुड के कई फिल्मों में मिल जाएगी और भारत के सबसे बड़े लेखकों में रहे रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की भी एक कहानी इसी संदर्भ में लिखी गई है। इस लेख में आपको एक सत्यकथा से परिचित कराएंगे हालांकि इसमें हमने पात्र के नाम बदल दिए है।रहस्यकथा आरंभसुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में आने वाले एक जिले का नाम है। राज की नानी उस वक्त तकरीबन 15-16 वर्ष की होंगी यह उस वक्त की बात है जब बंजारों का एक जगह से दूसरी जगह भीड़ देखकर , करतब दिखाने का कार्य होता, जिससे वह सब बंजारे पैसे कमाते थे। परन्तु व्यक्ति के दिमाग के भीतर क्या चल रहा है यह कोई नहीं जान पाता है इसी का फायदा उठाकर बंजारे सुबह करतब दिखाते और पैसे कमाते और रात के अंधेरे में चोरी और डकैती जैसे कार्यों को अंजाम देते। इससे सचेत होकर गांव वाले इन बंजारों को मेला लगाने की अनुमति देने से कतराते। इन चोरों के डर से सभी बड़ो न यह फैसला किया कि बच्चों को बाहर खेलने न भेजा जाए या अगर भेजा जाए तो कोई बड़ा साथ हो। परन्तु राज की नानी को यह बात खटकती थी वह जब भी इस कि आलोचना करती थी तो जवाब में यह मिलता की वह तुम्हे उठा लेंगे। करीब एक महीने बच्चों पर प्रतिबंध लगने के बाद अचानक से खबर मिली की एक पड़ोस का दस साल का बच्चा बाहर निकला उसके बाद गायब हो गया, सब उसकी तलाश में लगे हुए थे। सबको शक था कि कहीं उस बच्चे के साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ। सब अपने घर से कुल्हाड़ी, कुदाल लेकर बंजारों की टोली के पीछे निकल पड़े। अब वह बच्चे के साथ उन बनजारों की टोली में घुसकर तलाश करने लगे, परन्तु उस बच्चे का कोई सुराग न मिला। इसके बाद उन्हें एक मौका मिला उस टोली में से एक आदमी किसी कार्य के लिए बाहर निकल जिसका फायदा उठाकर गांव वालों ने उस आदमी को पकड़ लिया और यह नक्की किया इससे सारे सवाल जल्दी से पूछा जाए क्योंकि इसके टोली के लोग इसको ढूंढने जरूर निकलेंगे। इसके लिए गांव वालों ने उस लड़के को लाठी मारकर बेहोश कर दिया। गांव पहुंचने पर सबने उस लड़के को होश में लाकर सवाल पूछे परन्तु वह बिना मार खाए बताने को नहीं हो रहा था इसका अब यह हुआ कि लोगो ने उसे खूब मारना शुरू किया ताकि वह बताए। अब लड़का डर के कारण सब बताता है जिसे सुन सब हिल जाते हैं। आधे लोग तांत्रिक को बुलाने निकलते हैं तो आधे बच्चा जहाँ छुपाया है उस दिशा में । पता चला कि लड़के को वह जीवाधारी बनाने के लिए चुना है, उसकी जान को खतरा है। अंत मे वह तांत्रिक जीवाधारी बने बच्चे को हराकर उसे आजाद कर देते है और सफल हो जाते हैं। हालांकि जीवाधारी अत्यंत ताकतवर होते हैं परन्तु यह बल अवस्था मे ही जीवाधारी बनाए गए इसीलिए तांत्रिक उन्हें हराने में सफल हुए।गुरू रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी कहानी ‘धन की भेंट’ में जीवाधारी बनने की कहानी लिखी है। जिसमें दादा अपने ही पोते को जीवाधारी बना देते हैं। बाद में जब पता चलता है तो पश्चताप में मौत को गले लगा लेते हैं।0 0 शेयर करें
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