पुरे भारत में करवा चौथ के नाम की एक पर्व मनाया जाता है जिसे वैवाहिक स्त्रियाँ करती है| यह पर्व उत्तर-पूर्वी भारत में बहुत प्रशिद्ध है| ये निर्जला एकादशी के सामान यह व्रत भी निर्जला ही किया जाता है| इस दिन सभी स्त्रियाँ अपने-अपने पतियों की दीर्घायु और शवस्त के लिए भगवान शिव और गौरी की आराधना करतीं है| यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष कीकरवा चाैथ व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत में पुरे दिन निर्जला रहकर शाम के समय चंद्रमा को छलनी से देखकर व्रत खोला जाता है। ऐसी परम्परा है की इस व्रत में छलनी का महत्व इसलिए है, क्योंकि कथा के अनुसार छलनी के कारण ही एक पवित्र स्त्री का व्रत टूटा था करवा संस्कृत शब्द का अर्थ हिंदी में अर्घ्यपात्र है |
करवा चौथ व्रत की कथा श्रीवामन पुराण में है, जो इस प्रकार है
- किसी समय इंद्रप्रस्थ में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी लीलावती से उसके सात पुत्र और वीरावती नामक एक पुत्री पैदा हुई। वीरावती के युवा होने पर उसका विवाह विधि-विधान के साथ कर दिया गया।
- जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई, तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ बड़े प्रेम से करवा चौथ का व्रत शुरू किया, लेकिन भूख-प्यास से वह चंद्रोदय के पूर्व ही बेहोश हो गई। बहन को बेहोश देखकर सातों भाई व्याकुल हो गए और इसका उपाय खोजने लगे।
- उन्होंने अपनी लाड़ली बहन के लिए पेड़ के पीछे से जलती मशाल का उजाला दिखाकर बहन को होश में लाकर चंद्रोदय निकलने की सूचना दी, तो उसने विधिपूर्वक अर्घ्य देकर भोजन कर लिया।
- ऐसा करने से उसके पति की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से वीरावती व्याकुल हो उठी। उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी रात को इंद्राणी पृथ्वी पर आई।
- ऐसा करने से उसके पति की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से वीरावती व्याकुल हो उठी। उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी रात को इंद्राणी पृथ्वी पर आई।
- अब उसे पुनर्जीवित करने के लिए विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत करो। मैं उस व्रत के ही पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पति को जीवित करूंगी।
- वीरावती ने बारह मास की चौथ सहित करवाचौथ का व्रत पूर्ण विधि-विधानानुसार किया, तो इंद्राणी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार प्रसन्न होकर चुल्लू भर पानी उसके पति के मृत शरीर पर छिड़क दिया।
- ऐसा करते ही उसका पति जीवित हो उठा। घर आकर वीरावती अपने पति के साथ वैवाहिक सुख भोगने लगी। समय के साथ उसे पुत्र, धन, धान्य और पति की दीर्घायु का लाभ मिला।
करवा चौथ पूजा विधि :
- करवा चौथ के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
- संकल्प लेने के लिए इस मंत्र का जाप करें “मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”
- घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं. इस रीति को करवा धरना कहा जाता है.
- शाम को मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों
- मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका श्रृंगार करें.
- इसके बाद मां पार्वती भगवान गणेश और शिव की अराधना करें
- चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अर्घ्य दें
- इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें.
- पूजन के बाद अपने सास ससूर और घर के बड़ों का आर्शीवाद जरूर लें.
- कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें
इस वर्ष करवा चौथ का त्योहार
करवा चौथ व्रत की तारीख – 17 अक्टूबर 2019, बृहस्पतिवार
करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: 17.46 बजे (समय अवधि – 1 घंटे 16 मिनट)
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 20.20 बजे
चतुर्थी तिथि आरंभ – 06.48 बजे से (17.10.19)
चतुर्थी तिथि खत्म – 07.28 बजे तक (18.10.19)