तनाव से भरपूर मनुष्य न आज में जी पाता है और न ही कल में। तनाव आपके उम्र के साथ बढ़ती रहती है , जितनी बड़ी उम्र उतना बड़ा तनाव। आयुर्वेद में तनाव से मुक्ति और आपको मानसिक सुख के लिए एक प्रक्रिया तकरीबन 5000 वर्षों से उपयोग में ली जा रही है इसी क्रिया का नाम है शिरोधारा।
कैसे करे शिरोधारा का उपयोग।
इसमें तनावी व्यक्ति शवासन धारण करके आंख बंद करके अपने शरीर को ढीला छोड़ देता है। औषधि के रूप में तरल पदार्थों का उपयोग लिया जाता है जिसमे घी या तेल या मक्खन उपयुक्त है। जो तनावी व्यक्ति के सर पर सीमित गति से डाला जाता है। यह क्रिया आपके मस्तिष्क और शरीर को असीम आनन्द देता है और आप उस पल के लिए अपने सभी तनाव को भूल जाएंगे। यह क्रिया आप अपने घर की चार दीवारों के भीतर रहकर भी उपयोग में ला सकते हैं।
घर पर कैसे करे इस्तमाल
यह आयुर्वेदिक क्रिया आप घर पर भी आराम से कर सकते है सिर्फ आपको कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। इस क्रिया को करने के लिए आपको सबसे पहले तिल का तेल लाना होगा। तिल का तेल दक्षिण भारत में खाने बनाने के लिए काफी इस्तेमाल में लिया जाता है परन्तु अगर तिल का तेल घर में उपलब्ध न हो तो आप नारियल तेल का भी उपयोग ले सकते हैं। अब तेल की गरमाहट को 95 से 100 डिग्री के तापमान में उबाल लें और तांबे के बर्तन में डाल लें जिसमें छेद बना हो ताकि सीमित गति से तेल उस छेद से निकलता रहे। व्यक्ति के माथे की दिशा ठीक उसी जगह होना चाहिए जहाँ से तेल बाहर निकल रहा हो।
कैसे पहुंचाता है मस्तिष्क को आराम
तेल के साथ इस्तेमाल की गई जड़ी बूटियों का मिश्रण जो माथे पर ठंडक पहुंचाता है जिससे यह आपके मस्तिष्क में उतपन्न तनाव को दूर करता है। शिरोधारा की यह तकनीक काफी लोगो के लिए उपयुक्त साबित हुई है। आप भी इस क्रिया को अपने जीवन मे अपना कर आनंदमय हो सकते हैं।