पृथ्वी में भिन्न भिन्न प्रकार के चार मौसम होते हैं किसी को गर्मी पसन्द है तो किसी को सर्दियां। सर्दियों को हिंदी में शरद ऋतु भी कहा जाता है। माना जाता है कि शरद ऋतु की शुरआत शरद पूर्णिमा से होती है। Sharad Purnima को कोजोगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन मान्यता है चन्द्र अपनी तमाम कलाओं में निपुण होते हैं। इस दिन कहा गया है अगर आप चाँद तथा भगवान विष्णु की आराध्य करेंगे यो इसके खूब फ़ायदे आपको मिलेंगे। इस दिन लक्ष्मिस्त्रोत का पाठ करके हवन करवाना चाहिए जिससे भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
पूर्णिमा 2020 – कब है पूर्णिमा व्रत तिथि
पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में बहुत मायने रखती है। बुध, कबीर, रैदास जैसी महान आत्माओं से लेकर रक्षाबंधन, होली जैसे त्यौहार भी पूर्णिमा तिथि पर ही मनाये जाते हैं।
कथा शरद पूर्णिमा की / Sharad Purnima katha
मान्यता है कि भगवान विष्णु जी और माँ लक्ष्मी की कृपा हेतु एक साहूकार की दोनों बेटियां हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थी। बड़ी बेटी पूरे विधि विधान से व्रत किया करती परन्तु छोटी बेटी व्रत तो करती पर सिर्फ नाम के लिए इसके नियम सब उसके मर्जी मुताबिक ही चलते। कुछ समय पश्चात वह दोनों बेटियां शादी योग्य हो गई। दोनों की शादी हो गई और दोनों के घर बच्चा भी पैदा हुआ परन्तु बड़ी बेटी के घर एक स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ और छोटी बेटी के घर पैदा होते ही उसकी मृत्यु हो गई।
छोटी बेटी के घर या किस्सा दो से 3 बार ऐसा हुआ तो वह चिंतित होकर ब्राहमण के पास गई और अपनी आप बीती सुनाने लगी ब्राह्मण ने सब सुनने के बाद कहा कि तुम नियम के मुताबिक व्रत नहीं रखती हो यानी अधूरा व्रत रखती हो इसी कारण तुमपर भगवान कि कृपा नहीं बरस रही है। यह सुनते ही उसने अब से यह निर्णय लिया कि वह पूरा व्रत विधि विधान के मुताबिक ही करेगी।
पूर्णिमा आने से पहले ही छोटी बेटी ने एक बच्चे को जन्म दिया परन्तु उस बच्चे के साथ भी वही हुआ जो बाकी बच्चो के साथ हुआ, उस मासूम नवजात शिशु को भी म्रत्यु ही नसीब हुई। इस पर उसने अपने बेटे के शव को एक पीढ़े पर रख दिया और ऊपर से एक कपड़ा इस तरह ढक दिया कि किसी को पता न चले। उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और उसी पीढ़ा पर बैठने को कहा। बड़ी बेटी जैसे ही बैठने लगी उसकी लहंगे की किनारी बच्चे को छू गई और वह जीवित होकर रोने लगा। बड़ी बहन यह देखकर आश्चर्यचकित और क्रोधित हो जाती हैं वह कहती है छोटी बहन से की तुम मुझपर हत्या का आरोप लगाना चाहती थी?
“नहीं, दीदी ऐसी बात नहीं है यह बच्चा तो पहले से ही म्रत्यु को गले लगा चुका था परन्तु आपके स्पर्श से यह जीवित हो सका आपका थ दिल से धन्यवाद दीदी ” छोटी बहन ने कहा।
यह कहके छोटी बहन ने अपने आपसे वादे अनुसार व्रत पूरी श्रद्धा और लगन से किया और पूरे नगर इसका जोर शोर से प्रचार भी। भगवान से कामना करें जिस तरह आपने उनके हर कष्टों का निवारण किया ठीक उसी प्रकार हमारा भी कल्याण करें।
Sharad Purnima व्रत की विधि
सबसे पहले सभी औरते जिन्होंने यह व्रत रखा है वह अपने इष्ट देव की पूजा करेंगी। इंद्र और लक्ष्मी जी का पूजन भी इसके लिए महत्वपूर्ण माना गया है। ब्राह्मणों को भोजन में खीर का प्रसाद प्रदान करें और दान दक्षिणा भी दें। अगर आप इस दिन घर पर जागरण रखेंगे तो इसका अत्यधिक फायदा आपके आर्थिक हालात बहुत सुधर जाएगी।
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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शरद पूर्णिमा | शुक्रवार | 30 अक्टूबर 2020 |
शरद पूर्णिमा पूजा समय :
पूर्णिमा तिथि शुरू : 17:45 – 30 अक्टूबर 2020
पूर्णिमा तिथि ख़त्म : 20:20 – 31 अक्टूबर 2020