प्रत्येक मनुष्य के लिए अपने जीवनकाल में सेहत के प्रति ध्यान देना बेहद आवश्यक है। प्रतिदिन कम से कम 15 से 20 मिनट अपने स्वास्थ्य को दें, योगासन का अभ्यास करें। इससे आपका मन शांत रहेगा जिससे आपको काम करने की नई ऊर्जा प्राप्त होगी। जानिए Yogasan क्या है और इससे सम्बंधित प्राचीन विज्ञान।
Yogasan की परिभाषा
योगासन दो भिन्न शब्दों का जोड़ है। यह दो शब्द है yoga asanas। इसमें आसन का अर्थ है की जब व्यक्ति स्वयं को एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक रख सके तो वही आसन है। पुराणों में yogasan के 84 लाख आसनों का वर्णन किया है परन्तु हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी कम ही आसान का इस्तेमाल करते हैं। यह सभी आसन विभिन्न जीव जंतुओं के नाम से पहचाने जाते हैं। हम इनमें से बहुत ही कम आसनों के बारे में जानते हैं। इनमें से मात्र 84 आसन ही ऐसे हैं जिन्हें प्रमुख माना गया है। उनमें से भी वर्तमान में मात्र 20 आसन ही प्रसिद्ध हैं जिन्हें लोग आसानी से कर लेते है। हर विषय मे अपनी रुचि रखने के लिए मशहूर बाबा रामदेव जी ने पूरे विश्व को बताया कि योगासन क्या है, उनके अनुसार इन सभी आसनों का अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ तन-मन एवं उपचार के लिए किया जाता है।
पादहस्तासन (Uttanasana) की योगविधि और लाभ
अगर आपने योगा में सूर्यनमस्कार किया हो, तो उसीकी तीसरी क्रिया को ही पादहस्तासन कहा जाता है जहाँ खड़े होकर आगे की ओर झुका जाता है और अपने दोनों हाथों से दोनों पैरों को छुआ जाता है।
Type of Yogasan
योग शास्त्रों में योग के दो प्रकारों का स्पष्टीकरण दिया है। एक गतिशील आसन और दूसरा स्थिर आसन। इन दोनों आसन के प्रकार का स्पष्ट वर्णन निम्मनलिखित है।
गतिशील आसन:- यह योग में प्रयास किए जाने वाला वह आसन है जो शरीर को शक्ति के साथ गतिशील प्रदान करता है।
स्थिर आसन:- स्थिर आसन वह आसन है जिनमें अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है। आसन का अभ्यास करते समय स्थिति के समय और सीमा को धीरे धीरे बढाया जाता है। प्रत्येक आसन का अलग स्वास्थ्य लाभ होता है। अलग अलग रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी अलग अलग आसन बताये गए हैं। विभिन्न आसन शरीर के विभिन्न हिस्सों पर प्रभाव डालते हैं। इनका पूरा लाभ लेने के लिए आवश्यक है की आप योगासन किसी प्रशिक्षित योग निरीक्षक की देख रेख में ही योगासनों का अभ्यास करें।
योगमुद्रासन की विधि एवं लाभ
योग ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। नेपाल और भारत में यह क्रिया काफी सालों से इस्तेमाल में लिया जाता है।
आसान करते वक्त कुंभक का विशेष ध्यान रखें
Yogasan में प्रचलित अधिकतर सांसों के इस्तेमाल पर केंद्रित रहते हैं उदहारण समझा जाए तो योगासन में सांस लेने और छोड़ने का दौर चलता ही रहता है। सांस रोकने की प्रक्रिया को ही कुम्भक कहते हैं। यदि सांस बाहर छोड़ कर रोकी जाये तो इसे बाह्य कुम्भक कहते हैं, किन्तु यदि सांस अंदर खींच कर रोकी जाये तो इसे आभ्यान्तर कुम्भक कहा जाता है। इसके अलावा योग में ऐसे आसन भी मौजूद हैं जिनमें आप एक स्थिति में आकर सांस लेते रह सकते हैं।
भिन्न चक्रों पर आधारित आसन
हर भिन्न आसन व्यक्ति के शरीर के अलग अलग अंगों के लिए लाभदायक होते हैं । किसी एक आसन में किसी एक चक्र पर अपना ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे वो आसन शरीर के किन्हीं खास अंगों पर ही विशेष प्रभाव डालता है। जैसे भुजंगासन करते समय आपको विशुद्धि चक्र पर ध्यान देना होता है। ध्यान करते वक्त व्यक्ति ‘ॐ’ शब्द का उच्चारण करना चाहिए, इससे आप ईश्वर को पाने की शक्ति प्राप्त होगी। आत्मा का परमात्मा से मिलन ही सच्चा योग है।