हनुमान जी की आरती

Hanuman Ji ki Aarti | हनुमान जी की आरती एवं पूजा विधि

भारत वर्ष के सबसे पहले सुपरहीरो से विख्यात पवनपुत्र हनुमान। श्री राम जी के परम भक्त श्री हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। इनके अन्य नाम मे मारुति नन्दन, बजरंगबली, संकटमोचन,शंकर सुवन से भी जाने जाते हैं। इन्हें भगवान शिव जी का भी अवतार माना गया है। इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। रामायण के अनुसार, हनुमान जी को वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष के रूप में दिखाया जाता है। इनका शरीर अत्यंत मांसल एवं बलशाली है। उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता है। हनुमान जी को मात्र एक लंगोट पहने अनावृत शरीर के साथ दिखाया जाता है। वह मस्तक पर स्वर्ण मुकुट एवं शरीर पर स्वर्ण आभुषण पहने दिखाए जाते है। उनकी वानर के समान लंबी पूँछ है। उनका मुख्य अस्त्र गदा माना जाता है।

Kainchi Dham | कैंची धाम बिगड़ी तकदीर बनाने वाला हनुमान मंदिर

उत्तराखंड में कई प्राचीन मंदिर है उन्ही में से एक नीम करौली बाबा के नाम से विश्व विख्यात Kainchi Dham, नैनीताल स्थित एक Hanuman Mandir भी है।

Hanuman Ji ki Aarti और पूजा सामग्री

पूजा की सामग्री में लकड़ी की चौकी लगाएं जिसके ऊपर बिछाने के लिए लाल रंग का कपड़ा लें, क्योंकि लाल रंग हनुमान जी को प्रिय है। अब Hanuman Ji ki Aarti है तो हनुमान जी की मूरत या हनुमान जी की तस्वीर की स्थापना करें। पूजा के लिए अक्षत/चावल, घी का दीपक, तुलसी पत्ता, धूप,चन्दन, सिन्दूर, रोली, फल, फूल / माला , जल (कलश या लोटे में) भगवान के प्रशाद के लिए लड्डू ।

Hanuman Ji ki Aarti और पूजा विधि

हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव को मनाना सबसे आसान है तभी तो उन्हें भोले बाबा कहा गया है। हनुमान जी को भी प्रसन्न करना काफी आसान माना गया है। इनकी पूजा विधि कुछ इस प्रकार है। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें तथा उसपे हनुमान जी एवं गणेश जी की मूरत या तस्वीर को साफ करके स्थापित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और उसे भी भगवान की मूरत के समक्ष रख दें। इसके पश्चात हाथ जोड़कर गणेश जी की पूजा आगमन करें। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, यह आपके हर कष्ट को हर लेंगे और आपको एक सुखी जीवन प्रदान करेंगे। पूजा समाप्त होने के बाद Hanuman ji की पूजा आरम्भ करें और हाथ जोड़कर हनुमान जी को पूजा के लिए आमन्त्रण भेजे।

अब सबसे पहले Hanuman ji को सिन्दूर लगाते हुए इस मंत्र को पढ़े –

दिव्यनागसमुद्भुतं सर्वमंगलारकम् |

तैलाभ्यंगयिष्यामि सिन्दूरं गृह्यतां प्रभो ||

उसके बाद हनुमान जी को फूल अर्पित करते हुए इस मंत्र को पढ़े –

नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि |

कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वां पूजयामि कपीश्वर ||

कलश से जल अर्पित करने के पश्चात भगवान को लड्डू का भोग लगाएं । धूप और दिप दिखाएं ।

Hanuman Ji ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।

लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।

पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

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