Ekadashi का महत्त्व भारत में हिन्दू धर्म में काफी उच्च स्थान पर रखा जाता है। Ekadashi एक वर्ष में 24 से 26 बार अलग अलग तिथि पर आता है। हिन्दू धर्म अनुसार एक माह में दो पक्ष होते है यानी एक कृष्ण पक्ष तो एक शुक्ल पक्ष। Ekadashi एक संस्क्रत का शब्द है जिसका अर्थ ग्यारह होता है। Ekadashi vrat रखने वाले भक्त इस दिन गेंहू , मसले एवं सब्जियों का त्याग करते है। इस दिन भोजन में नमक का भी त्याग किया जाता है । यह व्रत करने वालो के ऊपर हरि की कृपा होगी और हर मनोकामना पूर्ण होगी।
कहाँ से हुई शुरुआत Ekadashi की
हिन्दू धंर्मिक विद्वानों की माने तो एकादशी की शुरुआत उत्तपन्न एकादशी हुई थी। मान्यता अनुसार एक मुर नामक शैतान ने अपना डर फैलाया हुआ था , जिन्हें रोकने के लिए खुद भगवान विष्णु जी आना हुआ लेकिन लड़ते लड़ते थकावट के कारण दोनों को नींद के समंदर में गौते लगाने पढ़े। इस पल का फायदा उठाने हेतु मुर ने अपने कदम बढ़ाए तभी भगवान विष्णु जी मे से एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने ने मुर दैत्य पर प्रहार शुरू कर दिया और मुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह तिथि मार्गशीष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी थी। भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि जो भी एकादशी का व्रत रखेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।
Ekadashi व्रत कैसे किया जाए
Ekadashi के व्रत की शुरुआत एक दिन पहले से कर दिया जाता है यानी दशमी तिथि से। दशमी तिथि को सबसे पहले नहाके बिना नमक का भोजन किया जाता है। इस दिन प्याज, मसूर की दाल एवं शहद का सेवन निषेद है। सूर्यास्त होने पर व्रत प्रारंभ हो जाता है जिसकी अवधि अगले दिन ग्यारस की रात तक चलता है और ग्यारस के अगले दिन के ही इस व्रत को पूर्ण माना जाता है। इस व्रत में पेड़ो के पत्ते को उनके जड़ो से अलग करने को गलत माना गया है। इस व्रत को करने वाले को पूर्ण तरीके से इसका पालन करना आवश्यक है। सुबह दातुन में सिर्फ साफ पानी से कुल्ला करके चलाया जाता है। यह व्रत व्यक्ति विशेष का ध्यान नहीं रखता इसे कोई भी कर सकता है। Ekadashi vrat में भक्त केवल सेन्ध्य नमक का इस्तेमाल में लाते हैं, आलू और कुट्टू के आटे का प्रयोग ही कर सकता है , इसके अतिरिक्त चीनी और अदरक का सेवन भी मान्य है।
विशेष Ekadashi
Ekadashi vrat बहुत ही महत्वपूर्ण है , इसे करने वाला हर सुख का भोगी होते हैं, परन्तु हिदू धर्म के मुताबिक निर्जला Ekadashi जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आता है एवं देवोत्थान Ekadashi जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है, इन दोनों का स्थान उच्च है।
निम्नलिखित तिथि में यह Ekadashi बनाई जाती है।
मंगलवार, 01 जनवरी सफला एकादशी
गुरुवार, 17 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी
गुरुवार, 31 जनवरी षटतिला एकादशी
शनिवार, 16 फरवरी जया एकादशी
शनिवार, 02 मार्च विजया एकादशी
रविवार, 17 मार्च आमलकी एकादशी
रविवार, 31 मार्च पापमोचिनी एकादशी
सोमवार, 15 अप्रैल कामदा एकादशी
मंगलवार, 30 अप्रैल वरुथिनी एकादशी
बुधवार, 15 मई मोहिनी एकादशी
गुरुवार, 30 मई अपरा एकादशी
गुरुवार, 13 जून निर्जला एकादशी
शनिवार, 29 जून योगिनी एकादशी
शुक्रवार, 12 जुलाई देवशयनी एकादशी
रविवार, 28 जुलाई कामिका एकादशी
रविवार, 11 अगस्त श्रावण पुत्रदा एकादशी
सोमवार, 26 अगस्त अजा एकादशी
सोमवार, 09 सितंबर परिवर्तिनी एकादशी
बुधवार, 25 सितंबर इन्दिरा एकादशी
बुधवार, 09 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी
गुरुवार, 24 अक्टूबर रमा एकादशी
शुक्रवार, 08 नवंबर देवुत्थान एकादशी
शुक्रवार, 22 नवंबर उत्पन्ना एकादशी
रविवार, 08 दिसंबर मोक्षदा एकादशी
रविवार, 22 दिसंबर सफला एकादशी