इस लेख की शुरुआत करने से पूर्व Gayatri Mantra का स्मरण करना चाहूंगा।
ॐ भूर्भवः सवः तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि।: धियो यो न: प्रचोदयात्।”
गायत्री मंत्र
Gayatri Mantra को हिन्दू धर्म बेहद प्रभावशाली मंत्र होने का दर्जा प्राप्त है। इसकी महत्व “ॐ” शब्द के महत्व के बराबर आंकी गई है। Gayatri Mantra माँ गायत्री (Maa Gayatri) को याद कर जपा जाता है।
माँ गायत्री को ब्रह्मा जी की पत्नी की रूप में माना गया है। हालांकि ब्रह्मा जी की पत्नी का सौभाग्य सावित्री देवी को मिला परन्तु एक दिवस जब ब्रह्मा जी पुष्कर में यज्ञ कर रहे थे तब उस यज्ञ के पूर्ण हेतु सावित्री देवी की आवश्यकता थी परन्तु किसी कारणवश वह वहाँ मौजूद नहीं हो पाई तो ब्रह्मा जी ने यज्ञ पूरा करने के लिए गायत्री माँ से विवाह रचाया।
स्वर्ण सी कंड वाली माँ गायत्री को वेद माता के नाम से भी जाना जाता है। इन्हे सभी देवी देवताओ की माँ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री ब्राह्मण के सभी अतिरिक्त गुणों का प्रकटीकरण है। यह दया की गंगा है जो संसार के सभी जीवो को अपनी ममता की छाँव में रखती है। माँ गायत्री का वाहन श्वेत हंस है। उनके हाथो में वेद सुशोभित है। मान्यता है की ये द्वारा ही वेदों की उत्पति हुई है। वह वेदों का सार है। साथ ही दुसरे हाथ में कमण्डल है यह मनुष्य के मन में अच्छे गुणों को जन्म देने वाली है जो उनके मानवता के मार्ग में आगे बढ़ाते है।
Gayatri Mantra Meaning
Gayatri Mantra हिन्दू शास्त्र में महत्व स्थान हासिल रखता है। इस मंत्र का उच्चारण भारत में बचपन से ही बच्चो के भीतर स्थापित कर दिया जाता है। समस्त धर्म ग्रंथों में गायत्री की महिमा एक स्वर से कही गई। समस्त ऋषि-मुनि मुक्त कंठ से गायत्री का गुण-गान करते हैं। शास्त्रों में गायत्री की महिमा के पवित्र वर्णन मिलते हैं। गायत्री मंत्र तीनों देव, बृह्मा, विष्णु और महेश का सार है। गीता में भगवान् ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं। हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए। यही इसका उच्चतम अर्थ है।
Gayatri Mantra जाप की विधि
Gayatri Mantra जप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग करें। जप से पूर्व स्नान कर स्वयं को शुद्ध कर लें। मंत्र जप कम से कम 108 बार जरूर करें। गायत्री माँ को ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का उच्चारण मंदिर या कोई भी पवित्र स्थान पर करें।
गायत्री मंत्र जप का समय : Gayatri Mantra जाप के लिए तीन समय बताए गए हैं, जप के समय को संध्याकाल भी कहा जाता है।
गायत्री मंत्र के जप का पहला समय है सुबह का। सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए।
मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है।
इसके बाद तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले। सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
यदि संध्याकाल के अतिरिक्त गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से करना चाहिए। मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।
Gayatri Mantra के फायदे
- उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ती है।
- त्वचा में चमक आती है।
- बुराइयों से मन दूर होता है।
- धर्म और सेवा कार्यों में मन लगता है।
- पूर्वाभास होने लगता है।
- आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है।
- स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है।
- क्रोध शांत होता है।