सोमवार व्रत

16 सोमवार व्रत और कथा करने की सम्पूर्ण विधि

शिवजी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार व्रत करना सर्वोत्तम उपाय है। हिंदू मान्यता के अनुसार सप्ताह के सभी सात दिन विभिन्न देवी देवताओं के प्रतीक माने जाते हैं। सप्ताह के सभी सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। जैसे सोमवार के अधिपति देवता शिवजी हैं मंगलवार के अधिपति देवता हनुमान जी हैं। बुधवार के अधिपति देवता श्री गणेश जी हैं। बृहस्पतिवार के अधिपति देवता श्री हरि विष्णु जी हैं। शुक्रवार के अधिपति देवी श्री लक्ष्मी जी व शनिवार के अधिपति देवता भैरव जी है। रविवार के अधिपति देवता सूर्य देव हैं। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सोमवार व्रत बेहद फलदाई होता है। शिव जी के सभी भक्तों सोमवार व्रत करने के लिए लालायित रहते हैं। विशेषकर कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत रखती हैं।
विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सोलह सोमवार व्रत रखना विशेष लाभप्रद होता है। इसलिए आइए जानते हैं सोलह सोमवार व्रत और कथा करने की संपूर्ण विधि।

शिव जी की आरती | ॐ जय शिव ओंकारा in Hndi

शिव,भोलेनाथ, महादेव, पशुपतिनाथ, या कहो नटराज या महाकाल। हर नाम शिव जी का व्यक्तित्व दर्शाता है। वह अपने भोलेपन के लिए जितना जाने जाते हैं उतना ही अपने क्रोध के लिए भी। 

सोमवार व्रत के नियम

तीन भिन्न प्रकार में बांटा गया यह व्रत के नाम सामान्य सोमवार व्रत, सोम्य प्रदोष व्रत एवं सोलह सोमवार के नाम से जाना जाता है जिसकी आत्मा तो एक है परन्तु भिन्न शक्ल एवं नाम से जानते हैं। कहने का मतलब है कि इन सब व्रत के नियम एक ही हैं परन्तु कथा एवं शुभ समय अलग हैं। इन व्रत में आपको शिव जी एवं माँ पार्वती की पूजा करें तथा पाठ का उच्चारण करें याद रहे सभी व्रत के पाठ भिन्न हैं। व्रत के दौरान आप एक ही समय भोजन कर सकते हैं।

सोमवार व्रत की पूजा विधि

सोमवार व्रत की पूजा विधि काफी सरल है। इसके लोई पहले स्वंय को पूर्ण रूप से स्नान करके साफ कर लें और धोए हुए कपड़ो का धारण कर लें ताकि घर के मंदिर में बैठ पूजा की शुरुआत कर सके। दीप जलाकर,घंटी बजाएं और अपने माता-पिता और गुरु को प्रणाम करें जिनका आपके जीवन मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिनके प्रयास से हम भगवान तक पहुंच पाते हैं । उसके पश्चात मां पार्वती एवं शिव जी को प्रणाम कर अपनी पूजा आरम्भ करें। शिव चालीसा का पाठ के पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ की एक माला का जाप करें। फिर शिव जी की आरती करें, याद रहें आरती खड़े होकर ही करें। कथा का पाठ आप अपने सहूलियत के मुताबिक कहीं भी कर सकते हैं परन्तु ध्यान रहें कि अगर आप कथा घर के मंदिर में करेंगे तो आरती से पहले कथा का स्थान हो।

सावन शिवरात्रि 2020 – शिवरात्रि पर भोलेनाथ करेंगें कष्टों को दूर

भगवान शिव का जितना ही गुस्सा होना जाना जाता उससे अधिक उनका प्रेम अपने भक्तों के प्रति जग जाहिर है। तभी शिव जी को कई नामों से नवाजा गया है जिसमे भोलेनाथ प्रमुख हैं।

मंदिर में पूजा करने के तरीके

मंदिर में आप सबसे पहले श्रद्धा पूर्वक शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पहले गणेश जी को जल चढ़ाएं, फिर माँ पार्वती को, फिर कार्तिकेय जी को जल चढ़ाकर नंदी जी को जल चढ़ाएं। फिर शिव जी को इस प्रकार जल चढ़ायें कि जल पहले शेषनाग जी पर गिरे और फिर शिवलिंग पर। फूल भी इसी क्रम में चढ़ाएं एवं चंदन का तिलक भी इसी क्रम में । अब यदि आप धूपबत्ती लाये हैं तो धूपबत्ती करें। अब यदि आपने घर में कथा नहीं की तो यहाँ बैठ कर कथा पाठ करें। इसके पश्चात् पहले वाले क्रम में ही गणेश जी फिर माँ पार्वती, फिर कार्तिकेय जी फिर नंदी जी के चरण छू कर आशीर्वाद लें। और अंत में शिव जी के आगे सर झुककर उनका भी आशीर्वाद लें।

व्रत में आहार के नियम

भगवान कभी अपने भक्तों को कष्ट में नहीं देख सकते। यह वहम लोगो मे है कि अगर वह भोजन नहीं करेंगे स्वयं को भूखा रखेंगे तो वह शिव जी को प्रसन्न कर सकेंगे परन्तु ऐसा नहीं । दिन में एक बार भोजन करें। तामसिक भोजन न करें जैसे, लहसुन, प्याज, अधिक मसाले वाला भोजन, देर से पचने वाला भोजन इत्यादि। अपने आप पर नियंत्रण रखें। यदि भूख न हो तो कुछ न खाएं। जो भी खाएं, अपने आसपास मौजूद लोगों को भी दें। एक बार पूछें अवश्य। अकेले खाना, छिपाकर खाना उचित नहीं। किसी दूसरे का भोजन आप नहीं कर सकते, किन्तु यदि अपना भोजन किसी के साथ बाँटना पड़े तो बाँट लें। शाम की पूजा विधि में यही विधि को इसी क्रम में करना है पहले शिव चालीसा, फिर 1 माला ‘ॐ नमः शिवाय’ फिर शिव जी की आरती। इसके पश्चात् प्रसाद ग्रहण करें एवं भोजन करें।

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