मनुष्य का जीवन एक रहस्यमयी किताब है जिसके लेखक स्वयं भगवान है, कब हमारी किस्मत में क्या लिख दे, कोई नहीं जानता। परन्तु हमारा सौभाग्य है कि हमें यह ज्ञात है कि हमारी जीवन के किताब कौन लिख रहा है, तथा उसका अर्थ क्या है। परन्तु अगर कोई किताब हो जो लोगों में काफी प्रचलित हो, परन्तु उस किताब का असली लेखक न पता हो तो आप उस किताब को क्या कहेंगे। उस किताब को लाल किताब से नवाजा गया है। लाल किताब सुनने से यह लगता है कि यब एक ऐसी किताब है जो लाल रंग में हो। लाल किताब के बारे में बहुत भ्रम है। कुछ इसे अरब का ज्योतिष मानते हैं तो कुछ इसे हिमाचल की प्राचीन विद्या। कुछ विद्वानों का मानना है कि लाल किताब तो महज उपायों की किताब है। इसी तरह कुछ विद्वान इसे उलझी हुई रहस्यमय विद्या मानकर खारिज कर देते हैं। वर्तमान में इस विद्या के जानकार भी बहुत हो चले हैं लेकिन कम ही ऐसे ज्योतिष हैं जो इस विद्या को अच्छे से समझ पाएं हैं।
असल में लाल किताब ज्योतिषी ग्रन्थ है। हालांकि इसके मूल रचयिता का नाम अब तक अनजान है परन्तु ऐसा माना गया है कि पहली बार लाल किताब नाम से एक ग्रंथ 1939 में जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने इसे लिखा था। उन्होंने इसे ‘लाल किताब के फरमान’ नाम से लिखा था। प्रारंभ में इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे। चूंकि उस दौर में पंजाब में सरकारी भाषा ऊर्दू थी इस लिहाज से इसे उन्होंने ऊर्दू में ही लिखा था, जिसमें अरबी और फारसी के प्रचलित शब्द भी थे। उनके इस भाषा में लिखे होने के कारण इसे अरब की विद्या मान लिया गया जबकि ऐसा नहीं था। समाज में कई तरह के भ्रम स्वत: ही फैल जाते हैं। कहते हैं कि उन्होंने इसे प्राचीन पांडुलिपियों और पराशर संहिता के आधार पर लिखा था। बाद में इसका संस्करण साल 1940 में प्रकाशित हुआ, जिसमें घटकर पृष्ठ केवल 156 रह गए। फिर 1941 में अगले-पिछले सारे सूत्रों को मिलाते हुए 428 पृष्ठों की किताब प्रकाशित की गई। इस तरह क्रमश: 1942 में 383 पृष्ठ और 1952 में 1171 पृष्ठों का संस्करण प्रकाशित हुआ। 1952 के संस्करण को अंतिम माना जाता है।
लाल किताब की विशेषताएं
लाल किताब एक ज्योतिषी ग्रन्थ है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है। ये टोटके इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है। काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि। ऐसे कुछ टोटकों के नमूने हैं, जिनके अवलम्बन से जातक ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों से अनायास की बचा जाता है। कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि। में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय जातक इन टोटकों के सहारे बिना किसी खर्च के (मुफ्त में) या अत्यल्प खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है।
लाल किताब में लिखे हुए कुछ घरेलू उपाय
लाल किताब में ज्योतिषी विद्या को ध्यान में रखकर कुछ टोटके का ज्ञान दिया हुआ जिसे आप बड़ी आसानी से अपने जीवन मे इस्तेमाल में ला सकते हैं ताकि आप बुरी शक्तियों के प्रभाव से बच सकें । लाल किताब में कई घरेलू उपाय लिखें गए हैं उनमें में से कुछ निम्मनलिखित हैं।
- पति-पत्नी में से किसी एक को गुड़ से परहेज करना चाहिए
- लोहे का छल्ला अथवा कड़ा पहनना लाभदायक रहेगा
- माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएँ
- कानों में सोने की बाली पहनें
- दूध में केसर मिलाकर पीएँ
- माँ का आशीर्वाद सदैव लें और चावल-दूध का दान करें
- दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें
- पुत्र सुख के लिए भूमि में सौंफ दबाएँ
- घर में चाँदी की थाली शुभ होगी
- दरिया में पैसे डालें
- ज़रुरतमंद लोगों को जल व दूध पिलाएँ
लाल किताब में लिखे आसान टोटके
वैसे तो लाल किताब में लिखित हर टोटके बेहद आसान है और हर व्यक्ति इसे अपने जीवन मे इस्तेमाल कर सकता है। यह कुछ आसान टोटके हैं इसे अपनाइए और मुसीबतों से दूर रहें।
- चाँदी का सिक्का सदैव अपने पास रखें
- चलते दरिया (बहते हुए पानी) में राहु की वस्तुओं को बहाएँ
- गंगा स्नान करें
- काले कुत्ते को पालें अथवा उसे खाना खिलाएँ
- अंधे लोगों का सहारा बनें
- भ्रष्टाचार से सदैव दूर रहें
- निर्धन व्यक्ति की आर्थिक रूप से सहायता करें
- वृद्ध एवं लाचार व्यक्तियों की सहायता करें
- पिता एवं पुरोहित का सम्मान करें