पंच महापुरुष योग

पंच महापुरुष योग – कुंडली में कैसे बनते हैं पंच महापुरुष योग?

कुंडली हमारी जीवन का एक ऐसा अनमोल अध्दयाय जिसमे हमारे आने वाले किरदार का पूरा ब्यौरा जन्म से रख देता है। यह हमारे जन्म तारीख , समय, जगह के मेल जोड़ से बना है , इसे प्रख्यात ज्योतिष ही पढ़ सकता है। कुंडली 12 भागो में बांटी गई है जिसमे 360 अंश होते है। इसमें 12 भाग 12 राशियों के नाम को सम्भोदित करता है जिसमे हर अंक एक राशि के नाम है। उदाहरण सहित मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, और मीन। इन्हें 1 से 12 अंको में बांटा गया है। यानी कि 1 में मेष हैं तो 12 अंक का अर्थ मीन। कुंडली ज्योतिष द्वारा आपके चरित्र जिसमे आप आज जी रहें है और कल आप जिएंगे। कुंडली का अन्य नाम जन्मपत्री भी कहा जाता है।

कुंडली में सरकारी नौकरी के योग

यूँ तो सरकारी नौकरी मिलने में सबसे बड़ा सहयोग आप स्वयं करते हैं मेहनत करके। परन्तु किसी कारण वश आपने पाया होगा कि आपने बहुत मेहनत करने के बावजूद आप सरकारी नौकरी नहीं पाते, ऐसा इसीलिए क्योंकि आपकी कुंडली में असहयोग होना।

पंच महापुरुष योग – क्या होता है?

मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि यह पाँच ग्रहों के अद्धभुत मिलन से पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है। यह मिलन बहुत कम व्यक्ति के कुंडली मे पाया जाता है। ज्योतिष द्वारा कहा गया है यह योग का धनी व्यक्ति विश्व मे अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाता है।

क्या आपमे भी है पंच महापुरुष योग बनने की संभावनाएं।

  • रूचक योग :- यह योग मंगल की स्थिति में बनता है। जब कुंडली मे मंगल, मेष या वृश्चिक अथवा उच्च राशि मकर में स्थापित हो तो यह रूचक योग कहलाया जाता है। रूचक योग के व्यक्ति साहस का अनोखा उदहारण होता है।
  • भद्रयोग:- यह योग के केंद्र बिंदु में बुध की स्थिति होती है। कुंडली मे बुध का स्थान मिथुन या कन्या राशि मे हो अथवा उच्च राशि कन्या में स्थिर हो तो यह योग भद्र योग कहलाया जाता है। इस योग में जन्में व्यक्ति श्रेष्ठ वक्ता एवं वैभवशाली व उच्च पदाधिकारियों में गिना जाता है।
  • हंसयोग :- यह योग में गुरु राशि यदि अपने खुद की राशि मीन या धनु में स्थिर हो या अपने उच्च राशि मे हो तो उस योग को हंस योग कहा जाता है। बुद्धिमान और अध्यात्म व्यक्ति में यह योग पाए जाते हैं।
  • मालव्ययोग :- शुक्र राशि की मौजूदगी यदि अपने स्वंय राशि वृषभ या तुला अथवा उच्च राशि मीन में स्थित होकर जन्मपत्रिका के केन्द्र स्थान में हो तो ‘मालव्य’ नामक योग बनता है। इस योग के धनी व्यक्ति विद्वान, स्त्री सुख से युक्त होता है।
  • शशयोग :- इसमें शनि की स्थिरता मकर या कुंभ में पाया जाए है उच्च राशि तुला में तो इस योग को शश योग कहा गया है। धनी, सुखी व लंबी उम्र तक जीने की ताकत इस योग के व्यक्तित्व में पाई जाती है।

यही वह पाँच योग है जिसका मिश्रण अगर एक व्यक्ति के कुंडली मे प्राप्त हो तो वह असीम ताकत का अभिन्न धनी होता है । यह योग विश्व मे बहुत कम व्यक्ति में पाया जाता है ।

कुंडली में संतान योग

जीवन मे हर शादी शुदा इंसान अपने हाथ में अपनी संतान का वह मुख देखना चाहता है जो उन्हें जिंदगी की हर खुशी का कारण बने, उन्हें माता पिता होने पर गर्व महसूस कर सकें।

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