एक मुखी रूद्राक्ष | महत्व | लाभ | धारण करने की विधि Pandit Ji September 28, 2019October 31, 2019 ज्योतिष, विविध-लेख0 0 शेयर करेंएक मुखी रूद्राक्षएक मुखी रूद्राक्ष धार्मिक इतिहास एक मुखी रूद्राक्ष का महत्वएक मुखी रूद्राक्ष धारण की विधि एक मुखी रूद्राक्ष के लाभपहाड़ी इलाकों पर पाए जाने वाले, खास पेड़ के बीज, जिसे रूद्राक्ष कहकर भी संबोधित किया जाता है। हालांकि अब इसकी उपस्थित भारत में विलुप्त होने के कगार पर हैं, जिसका कारण है इसका रेलवे की पटरी पर होता रूद्राक्ष का उपयोग। इससे हुआ यूँ की अब रूद्राक्ष का भारत को आयात करना पड़ता है। अब रुद्राक्ष नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया से लाए जाते हैं। रूद्राक्ष को आध्यात्मिक क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रूद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है। इसी में एकमुखी रूद्राक्ष बेहत महत्वपूर्ण योगदान देता है। जानते हैं इसकी विशेषताएं।एक मुखी रूद्राक्षएक मुखी रूद्राक्ष का आकार हूबहू ओंकार जैसा होता है, जिसमे माना जाता है की साक्षात महादेव शिव जी का वास होता है। इसे धारण करने से शिव जी से आशीर्वाद रूपी शक्ति प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष बेहद कम पाए जाते हैं इसीलिए इसको दुर्लभ श्रेणी में डाला गया है। यह रूद्राक्ष को सिंह जातियों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। रूद्राक्ष की पूजा जहाँ होती है वहाँ से लक्ष्मी दूर नहीं होती। रूद्राक्ष को पवित्र करने और धारण करने के लिए मंत्र है – “ऊं ह्रीं नम:इस रूद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह होता है और भगवान शिव इसके स्वामी देव हैं। इस रूद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव और पारलौकिक जीवन से जुड़ा हुआ पाता है।पंचमुखी रुद्राक्ष जिसमें शिव करते हैं पांचों रूपों में वासपंचमुखी रुद्राक्ष के शासक स्वयं भगवान शिव हैं। कहा जाता है जिज़ व्यक्ति के भीतर वासना,क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार का स्थान होता है उसके रुद्राक्ष पहने से इन अवगुणों का स्थान उसके भीतर नहीं रहता।Read Moreधार्मिक इतिहास एक मुखी रूद्राक्ष का महत्वएक मुखी रूद्राक्ष में साक्षात शिव जी वास करते हैं। ऐसा माना गया है कि इसे धारण करने के बाद व्यक्ति के समक्ष हर तरह की मुसीबत कोसों दूर से ही निकल जाती है। इसके साथ ही एक मुखी रूद्राक्ष व्यक्ति जीवन के अंधकार को दूर कर उसमें प्रकाश पुंज भरता है। मात्र इतना ही नहीं इस रूद्राक्ष को पहनने से ब्रह्म हत्या के समान पापों से भी मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोह माया के जाल से ऊपर उठ जाता है। पद्म पुराण के 57वें अध्याय में 38-39वाँ श्लोक में एक मुखी रूद्राक्ष के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि, “एक मुखी रूद्राक्ष भगवान शिव का स्वरूप है जो समस्त पापों का नाश करता है। अतः इसके धारण करने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हे कार्तिकेय! एक मुखी रूद्राक्ष को वही व्यक्ति धारण करने के योग्य होगा जो धार्मिक रूप से विश्वसनीय, शिव की कृपा और कैलाश पर्वत को प्राप्त कर सके”।एक मुखी रूद्राक्ष धारण की विधिरूद्राक्ष को धारण करने हेतु व्यक्ति को सोना या चांदी की माला में लगाएं अथवा काला या लाल धागा में लगाएं। इसे धारण हर दिन कर सकतें हैं परन्तु रविवार, सोमवार ऑयर शिवरात्रि के दिन अवश्य पहनें, इससे काफी लाभ मिलता है। इसे धारण करने से पूर्व इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आपको रूद्राक्ष का गंगा के पानी से शुद्ध करें। प्रात: काल में सूर्य को तांबें के पात्र से जल और लाल पुप्ष चढ़ाएँ। रूद्राक्ष को जागृत करने के लिए “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। उपरोक्त विधि को संपन्न करने के बाद उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव का स्मरण करें और रूद्राक्षको धारण करें। कलयुग में ब्रह्मास्त्र है, महामृत्युंजय मन्त्र भगवान शिव जिन्होंने इस सृष्टि की रचना की जो समाज में कई नाम से जानें जाते हैं। जिनमे भोलेनाथ, महाकाल नाम प्रमुख हैं। एक मुखी रूद्राक्ष के लाभएक मुखी रूद्राक्ष की माला को धारण करने वाले व्यक्ति की आध्यात्मिक इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और मन को शांति मिलती है। इस रूद्राक्ष के प्रभाव से जीवन में समृद्धि आती है। जो व्यक्ति एक मुखी रूद्राक्ष को धारण करता है उसके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि तथा व्यक्तित्व का विकास होता है। एक मुखी रूद्राक्ष करियर तथा व्यवसाय में सफलता दिलाने में सहायक होता है। एक मुखी रूद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति यह रूद्राक्ष धारण करता है तो वह अपने क्रोध पर नियंत्रण पा सकता है। यदि कोई व्यक्ति रक्त, हृदय, आँख और सिर आदि से संबंधित विकार से पीड़ित है तो उसके लिए यह रूद्राक्ष चमत्कारिक उपाय है। यह रूद्राक्ष बुरी आदतों (नशीले पदार्थ का सेवन आदि) को छुड़वाने में सहायक है।0 0 शेयर करें